छत्तीसगढ़

जाकर लौटा है कोई हवा का झोंका…. तुमने क्या सोचकर दरवाजा खुला रक्खा है..

वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे की कलम से

Ghoomata Darpan

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मोदी सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है ..यह पिछले 3 लोकसभा चुनावों मेंभाजपा के घोषणा पत्र का वादा रहा है।लेकिन यह कैसे लागू होगा,कब होगा और क्यों ऐसा हो रहा है? ऐसे कई सवाल हैं….? कांग्रेस ‘एक राष्ट्र,एक चुनाव’ को संविधान के खिलाफ है। पिछले साल मोदी सरकार ने लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निगमों के चुनाव एक साथ कराने के तरीके सुझाने के लिये कोविंद कमेटी गठित की थी,पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी,संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की गई थी। कमेटी ने सिफ़ारिश की थी कि लोकसभा, विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं,इसके साथ ही 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं.!सवाल यह उठता है कि भाजपा बिल को कैसे पास कराएगी ..? उसके पास लोकसभा में 240 सीटें हैं। बहुमत के लिए टीडीपी, जनता दल(यू), लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। अब सवाल उठाये जाते हैं कि एक साथ चुनाव कराने की भाजपा की योजना उसके सहयोगी दलों का समर्थन मिलेगा या नहीं…? अगर 2029 में ‘एक राष्ट्र,एक चुनाव’ होना है तो कई राज्यों की विधान सभाओं को पांच साल के कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाएगा… उनका कार्य काल पूरा होने से पूर्व चुनाव के लिए राज्य को तैयार होना होगा,पिछले साल 10 राज्यों में नई सरकारें बनीं हैँ उनमें 2028 में फिर से चुनाव होंगे,नई सरकारें लगभग एक साल या कम समय तक सत्ता में रहेंगी ये राज्य हिमाचल, मेघालय,त्रिपुरा नागालैंड, कर्नाटक, मिजोरम मप्र, छ्ग, राजस्थान हैं, उत्तरप्रदेश,पंजाब, गुजरात में चुनाव 2027 में होने हैं, इन राज्यों में 2027 में बनने वाली सरकारें 2 साल या कम समय चलेंगी,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल में चुनाव 2026 में होने हैं। ऐसे में 3 साल तक चल पाएंगी, इन राज्यों का निर्धारित समय में चुनाव ना करा कार्यकाल को 2029 तक बढ़ाना होगा, अरुणाचल, सिक्किम, आंध्र,ओडिशा,महाराष्ट्र, हरियाणा में जहां इस साल चुनाव हो चुके हैं या हो रहे हैं,5 साल तक सरकार चल सकती है,मोदी सरकार ऐसे कानून नीति लागू करती है, जिसकी कीमत राष्ट्र को चुकानी पड़ती है,आमजन से अर्थ व्यवस्था, समाज एवं संविधान तक….!

भिलाई की FSNL कम्पनी
सस्ते में केंद्र ने बेची….?

भारत सरकार ने भिलाई की शान कहे जानेवाले फेरो स्क्रेप निगम लिमिटेड (FSNL) प्लांट को एक जापानी कम्पनी को 320 करोड़ में बेच दिया है। इसकी क़ीमत एक हजार करोड़ आँकी जा रही है। कम्पनी 100 करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाती है,175 करोड़ का बैंक बेलेंस है, 210 करोड़ सरकारी कम्पनियों से लेना बकाया है,150 करोड़ की चल अचल सम्पत्तियाँ हैँ। इसी के साथ ही 1 हजार करोड़ के कांन्ट्रेक्ट अगले 2 वर्षों के लिये लंबित है,जिस से 300 करोड़ का मुनाफा केंद्र को होना संभावित था।भिलाई के कईयों को बेरोजगार करने वाली केंद्र सरकार की इस पहल का भिलाई सहित छत्तीसगढ़ के 10 भाजपा सांसद विरोध करने की स्थिति में क्यों नहीं हैं.? छ्ग की राज्य सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक है.? वैसे एफएसएनएल के कर्मचारी सहित अन्य मजदूर संगठन पिछले कई सालों से निजीकरणकी लटकती तलवार से लड़ भी रहे थे…?

छ्ग के 5 मंत्रियों को
कड़ी हिदायत ……!

छग के सीएम विष्णु देव साय के एसपी कलेक्टर, कॉन्फ्रेंस में तेवर, 2 कलेक्टर, 2 एसपी को हटाने की चर्चा के बीच ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ वरिष्ठओं ने सरस्वती शिक्षण संस्थान रोहणीपुरम में छ्ग मंत्रिमंडल के 5 सदस्यों विजय शर्मा डिप्टी सीएम और गृह मंत्री,ओपी चौधरी वित्तमंत्री , टंकराम वर्मा राजस्व मंत्री, केदार कश्यप वनमंत्री, श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ मंत्री की करीब 6 घंटे क्लास लेने की भी जमकर चर्चा है, कहा जा रहा है कि इनको कुछ कड़ी हिदायत दी गई है, वैसे तो इसे समन्वय बैठक का नाम दिया गया पर सूत्र कहते हैँ कि सभी को दायरे में रहने कहा गया है! सूत्र कहते हैं कि बैठक में डिप्टी सीएम अरुण साव को भी बुलाना था,पर विदेश यात्रा में थे। असल में सत्ता, संगठन और आरएसएस में अभी तक वह तालमेल नहीं बन पाया है जैसी उम्मीद की जा रही थी।वैसे बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रेमसाय सिंह अजय जामवाल आदि भी मौजूद थे। सूत्रों की मानेँ तो सत्ता से संघ के लोगों सहित आम भाजपा कार्यकर्त्ता भी खुश नहीं है,पहली बार मंत्री बनने वालों के व्यवहार को लेकर भी उंगलियां उठाई जा रही है….?

पत्रकारों का इलाज,सम्मान
निधि और मंत्री का दावा..?

पूर्व सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल में पत्रकारों के ईलाज के लिये आर्थिक सहायता 50 हजार से बढा कर 2 लाख किया,वरिष्ठ पत्रकार सम्मान निधि 5 हजार (रमन सिंह के समय) को बढाकर 10 हजार ₹ किया निर्धारित उम्र 62 से घटाकर 60 साल किया वहीं सम्माननिधि आजीवन देने का निर्णय लिया था,पर छ्ग सरकार के मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का एक लेख चर्चा में है जिसमें पत्रकार हित के भूपेश सरकार के कार्यों का श्रेय अपनी पार्टी के खाते में डालने का उल्लेख है…? उन्हें शायद पता नहीं है कि मप्र में भाजपा कि सरकार के पूर्व मुखिया शिवराज सिँह ने वरिष्ठ पत्रकारों की सम्मान निधि 20 हजार मासिक कर दी है, इस सम्बन्ध में छ्ग के सीएम विष्णुदेव साय को छ्ग के वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रेस क्लब रायपुर में होली मिलन समारोह में अनुरोध पत्र भी दिया था पर आज तक कुछ नहीं हुआ है..? वित्तमंत्री ओपी चौधरी को भी पत्र दिया गया है पर परिणाम सिफर है..? यहां यह बताना जरुरी है कि छ्ग में केवल 25 वरिष्ठ पत्रकार हैं जिन्हें ही सम्मान निधि मिलती है।

और अब बस…

0 खुद को शेडो सीएम समझने वाले एक मंत्री आजकल दुखी क्यों है…?
0किस मंत्री के बँगले में उनकी अनुमति के बिना प्रवेश प्रतिबंधित है…?
0कवर्धा के पूर्व एसपी डॉ पल्ल्व को केवल हटाने, निलंबन से बचाने में किसकी भूमिका रही है….?
0पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को क्यों पत्र लिखना पड़ा..?


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