छत्तीसगढ़

दीपावली विजय पर्व की बधाई स्वीकारें उज्जवल भविष्य के लिए दीपदान और मतदान करें

Ghoomata Darpan


दीपावली विजय पर्व का प्रतीक है भगवान राम के द्वारा अन्याय के प्रतीक रावण की श्रीलंका  विजय के पश्चात , उनके स्वागत में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है.   मां लक्ष्मी की कृपा धन-धान्य से हमारे घर को भर देती है वहीं परिवार को सुख समृद्धि प्रदान करती हैं.  मां लक्ष्मी को प्रसन्न करके हम उनसे आने वाले वर्ष के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं और इसी खुशियों को बांटने के लिए दीपदान करते हैं.


जी हां इस वर्ष की दीपावली दीपदान के साथ-साथ मतदान भी लेकर आई है जो  आगामी 5 वर्षों के हमारे भाग्य और सुख समृद्धि का रास्ता प्रशस्त करेगी.  इसलिए जरूरी है कि हम इस दीपावली पर दीपदान के साथ-साथ अपनी आगामी मतदान के लिए भी मानसिक रूप से सशक्त विचारों के साथ तैयार रहें.मतदान की शक्ति को पहचाने.प्रलोभन से उपर उठकर  वर्तमान मतदान के लिए स्वयं को वैचारिक रूप से सशक्त बनाए.

विश्व के सबसे युवा देश के रूप में अपनी पहचान रखने वाला भारतवर्ष की लगभग 30% आबादी युवकों की आबादी है जो इस देश की राजनीतिक, सामाजिक, तकनीकी, वैग्यानिक और सांस्कृतिक बदलाव की क्षमता रखती है लेकिन उसके बावजूद भी पढ़े-लिखे इन नौजवानों के बीच विचारों की अपार शक्ति होते हुए भी उसका उपयोग सही ढंग से नहीं हो पाने के कारण देश इस युवा वर्ग स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है.  सरकार के चयन के लिए  विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रणाली हमारे देश में है लेकिन इस लोकतंत्र की जड़े अब धीरे-धीरे कमजोर हो रही है लोकतांत्रिक पद्धति से सरकारों को चलाने तथा विकास के नए आयाम देने की जो कोशिश हमने की थी उस पर धीरे-धीरे घुन लग रहा है.  मतदाताओं के द्वारा अपने मतों का सही प्रयोग नहीं कर पाना इसका एक बहुत बड़ा कारण है.  मतदान जैसे शब्दों को कई पत्र पत्रिकाओं ने भी परिभाषित किया है और मत का दान जैसी पवित्र परंपरा से हटकर मत  खरीदने – बेचने की जिस गिरती सतह पर जा पहुंचा है जो अत्यंत  चिंता व्यक्त की है.
सत्यता से हम किनारा नहीं काट सकते. आज लोकतंत्र के मूल स्तम्भ  मतदान को देश के राजनीतिक दल  खरीद कर लोकतांत्रिक ढांचे की आड़ में  सत्ता पर कब्जा करने की  प्रयास कर रहे  हैं. वे महसूस करने लगे हैं कि मतदान को खरीदकर सत्ता पाना आसान रास्ता है. उन्हें मालूम है कि  खरीदने मे खर्च होने वाला पैसा उनका नहीं बल्कि उन्हीं मतदाताओं से प्राप्त टेक्स से प्राप्त धन है.  इस प्रकार के प्रयोग उन्हें सफल होते दिखाई दे रहे है।. यही कारण है कि विकास के लिए प्रतिबद्ध सार्थक समाज का सपना दिखाने वाले बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ दल भी अब इस दलदल में उतरने दिखाई पड़ रहे हैं. लोगों द्वारा मतदान के बदले खरीदने का मूल्य लगाया जा रहा है. कोई हजार ₹2000 की बेरोजगारी भत्ते की बात करता है तो कोई महिला शक्ति को आर्थिक मजबूती देने के लिए पैसों का प्रलोभन दे रहा है.  सस्ते एवं निशुल्क अनाज देने का प्रलोभन देकर  हमारे मतदान को खरीदने की कोशिश हो रही है और चिंता की बात यह है कि पढ़ा लिखा विचारशील एवं सही निर्णय लेने में सक्षम आज का युवा वर्ग चुपचाप हाथ बांधकर खड़ा है. देश के युवा वर्ग को यह जानना जरूरी है कि कोई भी राजनीतिक दल इस देश के नागरिकों द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे से ही हमें इस तरह के प्रलोभन देते हैं.  कोई भी राजनीतिक दल अपने पार्टी फंड से कोई भी उपहार या निशुल्क सामग्री  समाज तथा युवा वर्ग के लिए नई योजनाएं चलाने की बात नहीं करता.  सभी के खर्च के लिए इस देश के आर्थिक स्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. हमारे द्वारा दी गई आयकर, विक्रय कर, जीएसटी एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त संसाधन ही आर्थिक श्रोत हैं.  हमारे द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे को हमें ही देकर गुमराह किया जाता है. जबकि इस धन का उपयोग देश में बेरोजगारी से लड़ने की ताकत पैदा करने के लिए उद्योगों की स्थापना नए संसाधनों की खोज एवं सामाजिक बदलाव के लिए होना चाहिए.  हमारे युवाओं को स्थाई  सम्मान जनक रोजगार की आवश्यकता है.  राज्य सरकारें अपनी आवश्यकता अनुसार कर्ज लेकर इस तरह के प्रलोभनों को पूरा करने की कोशिश करती हैं  यह प्रलोभन बहुत क्षणिक होते हैं और देश तथा राज्य के बड़े-बड़े कार्यो को प्रभावित करते हैं.  अभी होने वाले आगामी पाँच  राज्यों के चुनाव में भी यह देखा जा रहा है कि  राजनीतिक दल अपने-अपने प्रलोभनों को एक दूसरे से  बढ़कर देने की कोशिश कर रही है क्योंकि सभी को यह मतदाता की एक दुखती हुई रग दिखाई पड़ती है,  जिसे छू लेने के बाद चुनाव की नैया पार हो जाएगी और सत्ता मेरे  हाथों  में होगी.

आगामी विधानसभा चुनाव के राज्यों की यदि हम  बात करें तो अब तक मार्च 2023 तक मध्य प्रदेश, राजस्थान ,तेलंगाना, छत्तीसगढ़ जैसे सभी बड़े  राज्यों पर भारी भरकम कर्ज लगा हुआ है.  केवल अपने राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो जनवरी 2023 में 82 हजार 125 करोड़ का कर्ज़ हमारे  ऊपर था. रिजर्व बैंक के रिपोर्ट के अनुसार आने वाली नई सरकार को मौजूदा कर्ज का लगभग 70% चुकाना होगा. इस बढ़ते हुए भार को नागरिकों से ही वसूल करेगी. ऋषि मुनियों से लेकर बुजुर्गो द्वारा हमारे संस्कार मे यह सिखलाया है कि परिश्रम से कमाई गई सम्पत्ति एवं धन मे बरक्कत होती है. मांगी हुई या खैरात मे मिली चीज हमें पंगु बनाती है.
आगामी चुनाव के मद्देनजर मतदान को जानना भी बहुत जरूरी है वास्तव में आपके द्वारा किया गया मतदान नई पीढ़ी के भविष्य का एक आईना होता है.  वर्तमान कि सीढ़ीओ पर चलकर हमें उस भविष्य का निर्माण करना है. जो हमे हमारे परिश्रम मूल्य के साथ हमें स्थायित्व प्रदान करेगा.   प्रत्याशी द्वारा  केवल प्रलोभन देकर अपने पक्ष मे  मतदान के लिए उकसाना सही मार्ग नहीं है बल्कि प्रत्याशी को अपनी एवं अपने दल की पात्रता सिद्ध करना ज्यादा जरूरी है.  उसे यह बात बतलानी होगी कि उसने अब तक अपने क्षेत्र , राज्य एवं देश के लिए  क्या किया है और  उसके  आगे क्षेत्र के स्थाई विकास तथा  नई पीढ़ी को विकास के लिए सक्षम बनाने के  लिए  उनकी क्या योजना है. आगामी विकास की प्रतिबद्ध सोच के लिए जरूरी है की प्रत्याशी पढ़े लिखे, सही सोच एवं सही राजनीतिक विकास के विचारों से परिपक्व होने चाहिए . उनके पास स्पष्ट आंकड़े और विचार होना चाहिए कि आगामी पाँच वर्षों में आने वाली तकनीक से युवा वर्ग या इस समाज को क्या फायदा मिलेगा. उनके सामने कौन सी चुनौतियां सामने आएंगी, और उस चुनौतियों का सामना हम कैसे कर पाएंगे.  कोविड  काल के समय में भी हमने इस तरह की चुनौतियों को देखा है.  आश्चर्य तब लगता है  जब राष्ट्रीय विपत्ति काल में सत्ता पक्ष अपने ही कर्मचारियों के वेतन की कटौती करने या उनसे सहयोग की बात करते हैं जिनके परिश्रम बल पर पूरा देश चल रहा होता है. इस तरह स्थितियों से निपटने के लिए सशक्त आपातकालीन कोष बनाकर रखने की आवश्यकता है. ऐसे कोष नहीं रखना सरकारों की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है.
वर्तमान समय में मतदान को निशुल्क एवं छोटे-छोटे प्रलोभन देकर मतदाताओं को खरीदने का साधन बनाया जा रहा है लोकतांत्रिक देश में मतदाता को खरीदने का प्रयास मतदान के परिणाम के अंधेरे पक्ष को उजागर कर  रहा है इसे किसी भी राष्ट्र का उज्जवल पक्ष नहीं कहा जा सकता.   प्रत्येक मतदाता को इसे समझना होगा समाज, देश, राज्य के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं तकनीकी विकास की विशाल संभावनाओं को प्रलोभन में आकर  मतदान के वजन को हल्का मत होने दें.  एक राज्य या देश के विकास के लिए पांच वर्षों का समय बहुत होता है और आपका गलत मतदान का निर्णय आपके नगर, राज्य या विधानसभा क्षेत्र को 5 वर्षों के लिए पीछे धकेल देता है.


चिंता का विषय यह है कि आज चुनाव में विकास की भावी योजनाओं के मुद्दे विलीन हो रहे हैं. 30%  युवा आबादी  के इस देश में  युवाओं के आगे लाने ,  विश्व पटल पर उनकी प्रतिभा को  प्रस्तुत करने की संभावनाओं पर कोई बातचीत नहीं होती.  युवा हाथों में  स्थाई रोजगार हेतु तकनीकी एवं औद्योगिक विकास की चर्चा कोई नहीं करता. इस बात पर भी आश्चर्य होता है कि आज युवा शिक्षित एवं निर्णय लेने में सक्षम होने के बावजूद भी उसे अपने मतदान की कीमत का पता होने के बावजूद वह सही निर्णय तक पहुंचने में असमंजस की स्थिति में रहता है और यही कारण है कि लोकतंत्र का आधार ढांचा धीरे-धीरे नीचे की ओर लुढ़क रहा है जिससे सत्ता आपराधिक तत्व एवं पूंजीपति के हाथों का खिलौना बन जा रही है.  इस तरह की स्थितियां हमारे राज्य, नगर या विधानसभा के विकास के आगे के रास्ते रोक देंगे.  समय के बदलाव के साथ यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि बिना पैसे के अब चुनाव नहीं लड़ा जा सकता.  न्याय को स्थापित करने वाले सामान्य विद्वान व्यक्ति का चुनाव लड़ना अब दूर की कौड़ी होती जा रही है. चुनाव मैं पैसे का बढ़ता प्रयोग भी भ्रष्टाचार की जड़ में शामिल  है.  सामान्य संभ्रांत नेक आदमी आज चुनाव लड़ने से डरने लगा है. ऐसी असहज स्थितियों से निपटने के     लिए नए प्रयास करने होंगे. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग को भी नए विकल्प खोजने होंगे.  प्रत्याशियों के बैनर पोस्टर के संयुक्त विज्ञापन जारी करने की व्यवस्था के लिए भी चुनाव आयोग को सामने आना होगा.  प्रत्याशियों के देश, राज्य, विधानसभा एवं नगर स्तरीय विकास की सोच को जनता के सामने रखने का दायित्व का कार्य भार चुनाव आयोग को संभालना होगा, ताकि लोकतांत्रिक चुनाव में होने वाले भारी भरकम व्यय को रोका जा सके. इससे काले धन के प्रयोग पर भी अंकुश लगाया जा सकता है. इसी तरह प्त्याशी की आयुसीमा पर भी विचार करने की आवश्कता है ताकि योग्यता के साथ युवा प्रत्याशीयों को ज्यादा मौके दिए जा सकें.
दीपावली की तरह इस देश और राज्य में लक्ष्मी के आगमन के साथ साथ सुख समृद्धि एवं विकास के लिए मतदान इस वर्ष योग्य दल एवं प्रत्याशी के पक्ष में ही करना होगा.  तभी हम लोकतंत्र के इस संगठन को  मजबूती दे पाएंगे. आवश्यकता इस बात की भी है कि हम अपने मतदान की क्षमता को पहचाने.  मतदान की ताकत का पता तब चलता है जब इस देश के नागरिक एक ताकतवर सरकार को जमीन पर लाकर खड़ा कर देते हैं और सत्ता सीन सरकारों को अपनी की गई गलतियों और कमियों को सुधारने और शांत होकर वैचारिक मनन करने हेतु बाध्य करते हैं . ऐसे समय हमें अपने मतदान की शक्ति पर गर्व होता है. अब समय आ गया है कि आगामी चुनाव मे अपने मतदान की शक्ति को पहचाने और उसका सही उपयोग कर सही प्रत्याशी चुनें  एवं सरकार बनाने मे अपनी पूरी ताकत का प्रयोग करें. आइए मां लक्ष्मी से अपने धर के साथ साथ अपने क्षेत्र, और देश के लिए सुख समृद्धि  देने की कामना करें.


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घूमता दर्पण, कोयलांचल में 1993 से विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध अखबार है, सोशल मीडिया के जमाने मे आपको तेज, सटीक व निष्पक्ष न्यूज पहुचाने के लिए इस वेबसाईट का प्रारंभ किया गया है । संस्थापक प्रधान संपादक प्रवीण निशी का पत्रकारिता मे तीन दशक का अनुभव है। छत्तीसगढ़ की ग्राउन्ड रिपोर्टिंग तथा देश-दुनिया की तमाम खबरों के विश्लेषण के लिए आज ही देखे घूमता दर्पण

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