छत्तीसगढ़

तेरे करीब आकर बड़ी उलझन में हूँ…… मै गैरों में हूँ या तेरे अपनों में हूँ….

Ghoomata Darpan

भारतीय जीवन का वर्तमान दौर निःसन्देह सबसे चिंताजनक कालचक्र है। बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है। उद्योग धंधे मंदे पड़े हुए हैं,छोटे दुकानदार कर्ज में डूबे हुए हैं।बैंकों से प्रभावशाली पूंजीपतियों की लाखों करोड़ की लूट सरकार की मिलीभगत से हो रही है…? मध्यमवर्गीय परिवार,बच्चों की महंगी होती जा रही शिक्षा के बोझ से दबे हुये हैं। अस्पतालों की लूट पर कोई अंकुश नहीं है। चारों तरफ एक ही माहौल है निराशा का….। अगर कुछ फल-फूल रहा है तो वो है नफरत फैलाने का कारोबार…..।युवा पीढ़ी के दिमाग में जहर भरा जा रहा है।उनके हाथों में हुनर से जीविकोपार्जन करने वाले औजार नहीं बल्कि पत्थर और हथियार हैं।ये बच्चे उन भड़काऊ नेताओं की औलादें नहीं हैं,जो सत्ता को सांप्रदायिक आग से चमका रहे हैं।ये किसी परिवार के अपेक्षा केअंश हैं,जो इस्तेमाल हो रहे हैं।हिन्दू सनातन धर्म इतना कमजोर नहीं है कि किसी दूसरे धर्म के कट्टर अनुयायियों के कारण खतरे में पड़े…। न मुगलों के दौर में और न ही अंग्रेजों-ईसाइयों के दौर में, कोई खतरा हुआ…! अब किसकी मजाल..!फिर क्यों बेवजह एक वर्ग के खिलाफ देश भर में नफरती माहौल बनाया जा रहा है? आपका तो नारा और दावा है”सबका साथ सबका विकास”।विपक्षी दलों की तो वैसे ही सांसे उखड़ी हुई हैं।क्योंकि जांच एजेंसियों का शिकंजा कई नेताओं की हालत पतली कर चुका है जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। कुछ मीडिया संस्थानों पर कोई टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है….! न्यायपालिका की भी सीमाएं हैं। अब तो आम जनता को खुद एक जिम्मेदार नागरिक की जिम्मेदारी को समझना होगा। भावी भारत की पीढ़ी को एक शांतिपूर्ण, सहअस्तित्व और विकसित देश मिले इसके लिए गलत का विरोध करना चाहिए, तटस्थता कहीं भारी न पड़ जाए…!

भाजपा के बड़े नेताओं को उनके घर में घेरने की कांग्रेस की रणनीति..

छत्तीसगढ़ में अब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कहां किससे टक्कर होगी यह लगभग स्पष्ट हो गया है। भाजपा के बड़े नेताओं को उनके घर में घेरने की रणनीति कॉंग्रेस ने बनाई है। वैसे भाजपा के लगभग सभी बड़े नेता पूर्व सीएम, नेता प्रतिपक्ष,सभी पूर्व मंत्री,4 सांसद,भाजपा अध्यक्ष,3 महासचिव चुनाव समर में हैं। कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष तथा सांसद दीपक बैज को ही उम्मीदवार बनाया है।राजेश मुणत के खिलाफ विकास उपाध्याय, नारायण चंदेल के खिलाफ व्यास कश्यप,अमर अग्रवाल के विरुद्ध शैलेश पांडे,प्रेम प्रकाश पांडे के विरुद्ध देवेंद्र यादव,भाजपा के प्रबल प्रताप सिंह के विरुद्ध अटल श्रीवास्तव (पूर्व लोकसभा प्रत्याशी) कोटा,छ्ग के अभिनेता अनुज शर्मा के खिलाफ छाया वर्मा (पूर्व राज्य सभा सदस्य)धरसींवा, साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष मोती लाल साहू के विरुद्ध पंकज शर्मा रायपुर ग्रामीण, रामसुन्दर दास रायपुर दक्षिण (बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ)सांसद गोमती साय के खिलाफ वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह पत्थलगांव,भाजपा अध्यक्ष अरुण साव के खिलाफ थानेश्वर साहू, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के खिलाफ गुलाब सिंह कमरों भरतपुर-सोनहत, पूर्व आईएएस और प्रदेश महासचिव ओपी चौधरी के खिलाफ प्रकाश शक्राजीत नायक रायगढ़, दूसरे महासचिव विजय शर्मा के खिलाफ मो अकबर,एक और महासचिव केदार कश्यप के खिलाफ चंदन कश्यप को प्रत्याशी बनाया है।

महिला आरक्षण केवल
झुनझुना ही साबित….

देश की मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र आयोजित कर 33% महिलाओं को लोकसभा सहित देश की सभी विधानसभाओं में आरक्षण का बिल पास किया था,कांग्रेस सहित सभी दलों ने इसका समर्थन किया था।इसे परिसीमन पर लगे प्रतिबन्ध के चलते तत्काल लागू नहीं किया गया पर अभी के छग विधानसभा चुनाव में महिलाओं को प्राथमिकता देने में क्या दिक्कत थी..?महिला आरक्षण की बात करने वाली राजनीतिक पार्टी ने छ्ग की विधानसभा चुनाव में कम महिलाओं को ही टिकट दिया है। छ्ग में घोषित विधानसभा प्रत्याशियों में भाजपा ने 86 में 15 तथा कांग्रेस ने घोषित 83 में 13 महिलाओं को ही अभी तक विधानसभा की टिकट दी है।जबकि मौजूदा विस में
पूरे देश में सबसे अधिक महिलाओं को प्रतिनिधित्व छ्ग में था।इसमें खास बात है कि यहां कांग्रेस की भूपेश के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद 5 विधानसभा के उपचुनाव हुए। जिसमें 3 महिला प्रत्याशी को टिकट दिया। ये सभी अपने-अपने विधानसभा चुनाव में विजयी भी हुईंं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों पर 16 महिला विधायक थीं ।वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की 90 सीट में से 13 सीटें महिलाओं ने जीत हासिल की थी।

राजनांदगांव में कांग्रेस,
भाजपा से बाहरी प्रत्याशी..?

कांग्रेस ने राजनांदगांव में एक बार फिर बाहरी प्रत्याशी को मौका दिया, जिससे भाजपा को आसानी हो सकती है। यहां गिरीश देवांगन को टिकट दी गई है। स्व. उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार का नाम जोरों से चला था,लेकिन गिरीश देवांगन का नाम सामने आया। पिछली बार करुणा शुक्ला को कांग्रेस ने टिकट दी थी। उन पर भी बाहरी होने का आरोप लगा। वैसे, कांग्रेस के पास भी यही तर्क है कि डॉ. रमन सिंह भी तो बाहरी ही हैं। वे कवर्धा से क्यों नहीं लड़ते हैं।

कांग्रेस ने 18 विधायकों की टिकट काटी, तो भाजपा ने सिर्फ 01की

कॉंग्रेस ने अभी तक घोषित 83 में 17 विधायकों के टिकट काट दिये हैँ। जिनकी टिकट कटी हैं उसमे पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से ममता चंद्राकर, खुज्जी से छन्नी साहू
कांकेर से शिशुपाल शोरी, डोंगरगढ़ से भुवनेश्वर सिंह ,रामानुजगंज से बृहस्पत सिँह,प्रतापपुर से प्रेमसाय टेकाम,जगदलपुर से रेखचंद जैन,बिलाईगढ़ से चंद्रदेव राय,सामरी से चिंतामणि महाराज,लैलूंगा से चक्रधरसिंह,तानाखार से मोहित केरकेट्टा,मनेन्द्रगढ़ से डॉ विनय जायसवाल को मौका नहीं दिया गया है। नवागढ़ क्षेत्र से गुरु दयाल बंजारे,अंतागढ़ से अनूप नाग,चित्रकोट राजमन बेंजाम,दंतेवाड़ा क्षेत्र से देवती कर्मा की जगह बेटे छविंद्र कर्मा को मौका मिला है।धरसींवा से अनीता शर्मा की टिकट काट दी गई है।रायपुर ग्रामीण से सत्यनारायण शर्मा की जगह उनके बेटे पंकज शर्मा को प्रत्याशी बनाया है।इधर भाजपा ने विंद्रानवागढ़ से मौजूदा विधायक डमरूघर पुजारी की टिकट काटी है।

और अब बस….

0 बाबा पर 2 विधायकों की राजनीतिक हत्या का आरोप जरूर लग रहा है?
0बस्तर की एकमात्र सामान्य सीट जगदलपुर से भाजपा/कॉंग्रेस के पूर्व महापौर चुनाव समर में हैं।
0छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बनाई जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी की वर्तमान स्थिति कुछ ठीक नहीं दिख रही है।


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