छत्तीसगढ़

भरस्टाचार की जननी कांग्रेस सरकार, शराब घोटाले समेत सभी घोटले की त्वरित सुनवाई हो – भाजपा

भूपेश बघेल ने घोटालों की श्रृंखला में मनमोहन सरकार को भी पीछे छोड़ दिया 

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मनेन्द्रगढ़ । एमसीबी। छत्तीसगढ़ की जनता को बुरी तरह लूट – खसोट कर भूपेश बघेल सरकार 10 जनपथ का खजाना भर रही है।छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला तो देश भर में इस तरह का सबसे बड़ा घोटाला है। यह केजरीवाल के दिल्ली शराब घोटाले से भी बड़ा और उससे भी अधिक संगीन है।
अभी तक शराब घोटाले के अलावा, कोयला घोटाला, चावल घोटाला, सीमेंट घोटाला, रेत घोटाला, तबादला घोटाला समेत प्रदेश के हर तरह के संसाधनों की लूट मचा कर कांग्रेस की यह बेईमान सरकार फिरंगियों और मुगलों से भी अधिक बेदर्द तरीके से छत्तीसगढ़ को लूटा है। इसने घोटालों की श्रृंखला में मनमोहन सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है।
इस घोटाले में मुखिया के निर्देश पर अनवर ढेबर द्वारा एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट का निर्माण किया गया जिस के अंतर्गत भ्रष्टाचार का पैसा पार्ट A, पार्ट B एवं पार्ट C के अंतर्गत किया। ईडी के रिलीज में साफ कहा गया है कि ये लोग घोटाले की रकम के अंतिम लाभार्थी नहीं है। अपना कमीशन काट कर ये लोग शेष रकम को ‘पॉलिटिकल मास्टर’ को भेज देते थे। क्या यह बताने की जरूरत है कि ये ‘पॉलिटिकल मास्टर’ कौन है? सीधी सी बात है कि छत्तीसगढ़ में ‘पॉलिटिकल मास्टर’ ही इस सिंडीकेट का सरगना है। आप यह जान कर आश्चर्य करेंगे कि बड़ी संख्या में ऐसी कच्ची और देसी शराब प्रदेश भर के 800 दुकानों में खपाये गये हैं, जिसे वैध तरीक़े से भी बेचा नहीं जा सकता है। इस शराब से शासकीय खजाने को तो अरबों का चूना लगा ही, प्रदेशवासियों की जान का भी सौदा किया गया।

आरोप के अनुसार फ़ैक्ट्री में शराब बना कर उसे सीधे दुकानों को बेचा जा रहा था और यह रक़म सीधे ‘राजनीतिक खज़ाने’ में जमा होता था। जहरीली शराब से हुई मौतों को भी भूपेश सरकार ने शराब बेचने का बहाना बना दिया।

शराब की कीमत 50 से 80% बढ़ाने, बड़ी संख्या में कच्ची और अन्य अवैध शराब से मौत होने के बावजूद शासन शराब राजस्व में कमी दिखाता रहा और अपनी पीठ भी थपथपाता रहा था। जबकि सच्चाई यह थी कि शराब का अधिकांश पैसा सीधे पॉलिटिकल सरगना हड़प जाता था। यही कारण है कि ईडी की कारवाई होते ही अचानक शराब राजस्व में 22 प्रतिशत की वृद्धि हो गई।

इस मामले में सबसे दुखद पक्ष है एक सहज और भोले आदिवासी मंत्री को इस्तेमाल किया जाना।  कवासी लखमा इस विभाग के मंत्री इसीलिए बनाए गए ताकि वे भूपेश बघेल और ऐजाज के इस सिंडीकेट में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकें।

इसी तरह ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन में भी अध्यक्ष का पद इसलिए ही खाली रखा गया ताकि लूट की रकम का शेयर और किसी को नहीं देना पड़े।

छत्तीसगढ़ बदलने के नारे के साथ आयी इस सरकार ने पूरी सरकार को ‘अंडरवर्ल्ड’ के रूप में बदल दिया था। और इस तमाम घोटाले का असली लाभार्थी, असली मास्टरमाइंड और ‘पॉलीटिकल मास्टर’ कौन था, इसके बारे में अब कोई भी संदेह नहीं रह गया है।

नकली होलोग्राम लगाकर घटिया शराब अधिक दाम में बेची गई, इससे 1200 करोड़ रूपए की अवैध कमाई की गई। यह बात भ्रष्टाचार से ज्यादा गंभीर है, जो सरकार जनता की जान की रक्षा करने के बजाय घटिया शराब पिलाकर उसकी जान जोखिम में डाले, ऐसी सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

न केवल शराब घोटाला बल्कि अन्य तमाम घोटाले के तार सीधे तौर पर मुख्यमंत्री निवास से जुड़े हैं। सीएम की सबसे करीबी उप सचिव और अनेक अधिकारी, कांग्रेसी नेता आदि इन मामलों में जेल में बंद है।

हम यह मांग करते हैं कि घोटाले से जुड़े ये सभी मामले की फ़ास्ट ट्रैक में सुनवाई हो।

अगर मुख्यमंत्री इस्तीफ़ा नहीं देते हैं तो ये तमाम मामले प्रदेश से बाहर सुनवाई कर शीघ्र इस पर फ़ैसला हो।

छत्तीसगढ़ प्रदेश के इस दाग को मिटाने के लिए इस सरकार को सत्ता में एक मिनट भी बने रहने का अधिकार नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी आज जिला मुख्यालय पर छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ महा धरना का आयोजन किया गया जिसमे भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष अनिल केशरवानी, मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक श्याम बिहारी जायसवाल,पूर्व संसदीय सचिव चम्पादेवी पावले, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रदीप सलूजा , लख्न् लाल श्रीवास्तव, श्रीमती रीता आईच,जमुना पाण्डेय, मुकेश जायसवाल , कमला गडेदेवा, राज कुमारी बैगा , वीरेंद्र सिंह राणा,राम लखन सिंग,गोमती दुवेदी, संजय गुप्ता, इंदु पनेरिया, नीलम सलूजा,मनोज जैन, मनेन्द्रगढ़ विधान सभा के विस्तारक सुरेंद्र गुप्ता, द्वारिका जायसवाल, मनीष खटीक, बबलू डे, रितेश ताम्रकार,अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश मंत्री मुनमुन जैन, राहुल सिंह, धर्मेंद्र पटवा, डमरू बेहरा, अंकुर जैन,सुशील सिंग, प्रतिमा पटवा, सरजू यादव,प्रदीप वर्मा, प्रवीण सिंह, उर्मिला राव, आलोक जायसवाल,विनोद गुप्ता, धनेश यादव,पवन शुक्ला, राजाराम कोल, रघुनन्दन यादव, विवेक अग्रवाल, धर्मेंद्र त्रिपाठी , रामधुन जायसवाल,स्वप्निल श्रीवास्तव, शिव कुमार, दीपांकर, मोहनता, एस एन सिंह,आनंद ताम्रकार, आशीषा मजूमदार, अर्विन्द् अग्रवाल,रामचरित दुवेदी, रोहित् वर्मा, सुश्री कोमल पटेल,रूबी पाशी, श्रीमती गीता पाशी, प्रतिमा बढ़ातया, शकुंतला विश्वकर्मा, अलका विश्वकर्मा, देव नारायण, सुरेश श्रीवास्तव,,शुभम सिंग,आदि सैकड़ो कार्यकर्तागण उपस्थित थे,


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