पेड़ों का लगातार काटना जलवायु परिवर्तन में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है – सतीश कुमार द्विवेदी
मनेन्द्रगढ़ से नागपुर 40 किलोमीटर साइकलिंग कर रास्ते में खाली स्थानों पर सीड्स बाल का उपयोग किया गया
नागपुर । एमसीबी। हायर सेकेंडरी स्कूल नागपुर में पर्यावरण जागरूकता अभियान के तहत सतीश कुमार द्विवेदी ने बताया कि प्रकृति प्रेरणादाई है हमें बहुत कुछ देती है परंतु जब हम उसका ही दोहन शुरू कर देते हैं तो वह हमारा दोहन करेगी ही करेगी, चाहे वह सुनामी के रूप में हो चाहे उत्तराखंड जैसी बाढ़, भूस्खलन, अधिक गर्मी, असामायिक अधिक वर्षा के रूप में हमारे सामने हो, प्रकृति को सहेज कर रखना हम सब की जिम्मेदारी है, परंतु ऐसा नहीं हो रहा है, कहीं ना कहीं उसका दोहन हो रहा है, जलवायु परिवर्तन उसी का एक कारण है, पेड़ों का लगातार काटना जलवायु परिवर्तन में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है।
श्री द्विवेदी के साथ प्रवीण शर्मा भी शनिवार 31 अगस्त 24 को मनेन्द्रगढ़ से नागपुर 40 किलोमीटर साइकलिंग कर रास्ते में खाली स्थानों पर सीड्स बाल का उपयोग किया गया तथा हायर सेकेंडरी स्कूल में बच्चों से पर्यावरण को लेकर बहुत सारे चर्चाएं की, उपस्थित बच्चों के समक्ष पेड़ों को लेकर के चर्चा में बताया कि आज यदि हम पेड़ों की बात करें तो दुनिया में सबसे ज्यादा पेड़ रूस में लगभग 641 अरब है, कनाडा में 318 अरब ब्राजील में 301 अरब अमेरिका में 228 अरब और भारत में केवल लगभग 35 अरब पेड़ बचे हुए हैं , दुनिया में हर मिनट 2400 पेड़ काटे जाते हैं, हर सेकंड एक फुटबॉल मैदान के बराबर जंगल काटा जाता है, दुनिया के जंगल संकट में हैं, भारत में प्रति व्यक्ति पेड़ कुल 22 बचे हैं और कम होते जा रहे हैं जबकि अमेरिका में 699 है, एक पेड़ 50 साल में हमारे कितने काम आता है- इस पर फोकस करते हुए बताया कि एक पेड़ 50 सालों में लगभग 17.5 लाख रुपए की ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, 41 लाख रुपए के पानी की रीसाइकलिंग करता है, एक व्यक्ति द्वारा जीवन पर फैलाए गए प्रदूषण को 300 पेड़ मिलकर खत्म कर सकते हैं, 35 लाख रुपए का वायु प्रदूषण का नियंत्रण करता है, तीन प्रतिशत के लगभग तापमान काम करता है, और 3 किलो कार्बन डाइ ऑक्साइड सोखता है, पेड़ हमें प्राण वायु देते हैं जब पेड़ कटते जाएंगे तो बीमारियों ने लगातार वृद्धि होती जाएगी,
–आईपीआईसी शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान के शोधकर्ताओं ने कहा कि 2013 से दुनिया भर में प्रदूषण के आंकड़ों में 44% वृद्धि अकेले भारत में हुई है, 63% भारतीय प्रदूषण प्रभावित क्षेत्रों में निवास करते हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की जहरीले कण अब इंसानों के दिमाग तक पहुंच रहे हैं सांस फूलने जैसी परेशानियां ही नहीं बल्कि सोचने समझने की क्षमता को भी प्रभावित कर रही है, स्थिति गंभीर होते जा रहे हैं,
श्री द्विवेदी के द्वारा बच्चों को बताया कि हर गर्मी में भी 50 सीडस बाल तैयार करें और पहली बारिश होते ही उन्हें खाली जगह पर डालें, यदि हर बच्चा हर स्कूल में यह कार्यक्रम स्टार्ट करें तो हम पर्यावरण में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेंगे, अपने जन्मदिन पर ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधे पीपल, नीम, आम, बरगद, जामुन के लगाए और उन्हें सुरक्षित रखें, वनों को आग से बचाए, एक दिन “नो फ्यूल डे” यानी डीजल से डीजल पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का उपयोग बिलकुल न करें, साइकलिंग करें, साइकिलिंग से आप खुद स्वास्थ्य रहने के साथ-साथ पर्यावरण को भी संरक्षित करते हैं, पन्नी पॉलिथीन का उपयोग बिलकुल न करें, प्रकृति इशारा कर रही है कि हमें आज और गंभीर होना पड़ेगा, हम अपने आसपास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगे, कार्यक्रम में हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रभारी प्राचार्य श्री सोनी एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे ।