लाखों की लागत से बना डैम पहली बारिश में ढहा: वन विभाग की लापरवाही या भ्रष्टाचार?
जंगल मे मोर नाचा किसने देखा ? जंगल के साम्राज्य में रेंजरों के द्वारा करोड़ों रुपये की आपसी बंदरबाट ऊपर तक करके कार्य की गुणवत्ता को नजरअंदाज कर निर्माण कार्य किया जाता है जिसको कोई देखने वाला नही होता है, गजब है यह का सिस्टम पूरा निर्माण कार्यों की जांच किया जाना चाहिए
जनकपुर। एमसीबी। छत्तीसगढ़ के वन विभाग की अनदेखी और भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। कुवांरपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत बघऊर नाला पर लाखों रुपए की लागत से बनाए गए स्टाप डैम के ढहने से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों के अनुसार, इस डैम का निर्माण महज 10 महीने पहले ही किया गया था, लेकिन पहली ही बारिश में यह ध्वस्त हो गया, जिससे सारा पानी बहकर चला गया।
गुणवत्ताहीन निर्माण का परिणाम
ग्रामीणों ने बताया कि डैम के निर्माण में भारी अनियमितताएं बरती गई थीं। नाले में मेढ़ बनाने के बाद पिचिंग नहीं कराई गई, केवल मिट्टी और बोल्डर डालकर काम अधूरा छोड़ दिया गया। इस कारण डैम की मजबूती पर सवाल उठने लगे थे। बारिश के दौरान जब नाले में पानी का बहाव बढ़ा, तो डैम की कमजोर संरचना के कारण यह टिक नहीं पाया और ढह गया।
वन विभाग पर अनुभव की कमी का आरोप
डैम निर्माण में वन विभाग की अनुभवहीनता को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के पास जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण का आवश्यक अनुभव नहीं है, जिसके चलते इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। बघऊर नाला में बनाए गए इस डैम की उचाई एक मीटर थी, लेकिन बोल्डर को सही तरीके से नीचे तक नहीं बिछाया गया था, जिससे पानी का रिसाव होता रहा और अंततः डैम ढह गया।
निर्माण कार्य में अनियमितताओं का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। मिट्टी की खुदाई भी उसी स्थान से की गई जहां डैम का निर्माण होना था, जिसके कारण डैम की मिट्टी में लगातार कटाव होता रहा। इस अनियमितता के चलते डैम पहली ही बारिश में ढह गया। लाखों रुपए की लागत से बने इस डैम का पानी बह जाने से ग्रामीणों में आक्रोश है।
सूचना बोर्ड भी गायब
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि निर्माण कार्य की जानकारी न मिलने के कारण यह पता नहीं चल सका कि इस डैम के निर्माण में कितनी राशि खर्च की गई है। वन विभाग ने कहीं भी निर्माण से संबंधित कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वन परिक्षेत्र अधिकारी के खिलाफ शिकायत
इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने प्रधान वन मुख्य संरक्षक से वन परिक्षेत्र अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि गुणवत्ताहीन निर्माण और भ्रष्टाचार के कारण सरकारी योजनाएं विफल हो रही हैं और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।