मत मारो मुझे नहीं बोझ बनूं ,घर को खुशहाल बनाउंगी,सुख सागर में चादर बिछाउंगी-बालकृष्ण गौतम

मनेन्द्रगढ़/आदमी की आंख/और कैमरे की आंख में/सिर्फ इतना अंतर है कि/कैमरे की आंख सच बोलती है/और आदमी की आंख/ फोड़े जाने के डर से/चुप रहती है
विगत दिवस लोकसंचेतना फाउंडेशन की मनेन्द्रगढ़ इकाई द्वारा गंगा प्रसाद मिश्र के निवास पर आयोजित कवि गोष्ठी में अपनी कविता पढ़ते हुए नगर के फोटोग्राफर मृत्युन्जय सोनी ने कार्यक्रम का आरंभ किया
इसी तारतम्य में इसी क्रम में क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद मिश्र ने वर्तमान में बदलते आदमी पर अपनी रचना में कहा “आज ऐसी बदल गई है,चाल आदमी की/आदमी की जाती को लजाए रहा आदमी”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बालकृष्ण गौतम ने बालिका भ्रूणहत्या पर मार्मिक कविता पढ़ते हुए कहा “मत मारो मुझे नहीं बोझ बनूं /घर को खुशहाल बनाउंगी,सुख सागर में चादर बिछाउंगी
कचरा अरु धूर बुहारुंगी,घर ही सर क्षीर बनाऊंगी”
इसके बाद कार्यक्रम का माहौल बदलते हुए सुपरिचित व्यंग्यकार, कार्टूनिस्ट जगदीश पाठक ने अपने व्यंग्य सुनाते हुए आदमी के दोगलेपन पर तीखा प्रहार किया
नगर के गजलकार एसएस निगम ने अपनी गजल में कहा “नाज उस पर हमेशा मेरा रहा,ये राज उसको बताना नहीं/आज कुछ भी नहीं बचा पास में, मगर आज मांगने का जमाना नहीं”
इसी तारतम्य में नगर से लेकर राजधानी तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले युवा कवि गौरव अग्रवाल ने कहा ” कुछ तो बोलो हे धर्मराज/कैसे मौन खड़े हो तुम, कण-कण से क्या सीखा तुमने/जिस रण में इतने लोग मरे ,इस रण से क्या सीखा तुमने ”
इसी कड़ी में नगर के साहित्यकार नारायण प्रसाद तिवारी ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा “प्याज गरीबों की थाली से रुठ गई है/प्याज फाइव स्टार की चहेती बन गई है”
कार्यक्रम के अंत में सभी ने वन्देमातरम गीत गाकर राष्ट्र के प्रति अपना प्रेम जताया ।
इस अवसर पर बालकृष्ण गौतम, गंगा प्रसाद मिश्र, गौरव अग्रवाल, नारायण तिवारी, मृत्युन्जय सोनी, विजय गुप्ता, जगदीश पाठक, एसएस निगम उपस्थिति रहे ।