सीतामढ़ी में नौतपा के दौरान संतों ने इक्कीस कुंडी महायज्ञ शुरू आज दूसरा दिन
एमसीबी जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र विकासखंड भरतपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित रामवनगमन पथ का यह सीतामढ़ी धाम 71वां स्थान है जो घाघरा के रांपा नदी के तट पर स्थित है। सीतामढ़ नौतपा के दौरान संतों ने महायज्ञ का आयोजन किया है छत्तीसगढ़ में आज से नौतपा शुरू हो चुका है। इन नौ दिनों में तेज गर्मी होती है जो लोगो कोअपने घरों में रहने को मजबूर कर देती है।
जनकपुर । भरतपुर विकासखण्ड के घाघरा के सीतामढ़ी में यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जहाँ संत कड़ी धूप में बैठकर लोगों के कल्याण के लिए यज्ञ कर रहे हैं। इस विषय में संतों का कहना है “इस यज्ञ का मकसद लोक कल्याण के लिए परमात्मा को प्रसन्न करना है यज्ञ से निकली सुगंध से वातावरण में फैले प्रदूषण दूर होते हैं. भरतपुर के ग्राम घाघरा में प्रसिद्ध सीतामढ़ी की गुफाएं हैं। वनवास काल के दौरान यहां भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता जी के साथ रुके थे उसी दौरान यहां भगवान राम ने सीतामढ़ी का निर्माण किया था।
संत रामचंद्र शरण महराज बताते हैं कि सीतामढ़ी धाम घाघरा में दूसरी बार नौतपा में महायज्ञ का आयोजन किया गया है इक्कीस कुंडी महायज्ञ नौ दिनों तक ये यज्ञ दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक जारी रहेगा सीतामढ़ी में चैबीसों घंटे अखंड कीर्तन भी किया जा रहा है।
देवी पुराण भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है 2 जून को 7 कन्याओं का कन्यादान विवाह आयोजन एवं व्रतबंध का कार्यक्रम भी रखा गया है।संत ने बताया कि हम इक्कीस धूनी के बीच में तप करते हैं ताकि हमारे सनातन धर्म के धर्म को परिवर्तन ना होने दें अपने ही धर्म को माने हमारे धर्म के जितने प्रमुख देवी देवता हैं उनकी साधना करें और अपने धर्म पर ही बने रहे जनहित और विश्व कल्याण के लिए यह नौ तपा महायज्ञ किया जा रहा है भक्तों के लिए प्रसाद के रूप में रोजाना भंडारा का आयोजन किया जा रहा है।