मनेंद्रगढ़ वनमाली सृजन पीठ म.प्र. भोपाल द्वारा आयोजित दो दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय सम्मेलन स्कोप ग्लोबल स्किल विश्वविद्यालय भोपाल के सभागार मे सम्पन्न हुआ.एक अगस्त से प्रारंभ इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सृजन केंद्रों की परिकल्पना, कार्यपद्धती और भविष्य की संभावनाओं पर वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष चौबे के साथ दिल्ली सृजनपीठ के लीलाधर मंडलोई, बिलासपुर से सतीश जायसवाल, ग्लोबल विश्वविद्यालय के डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी,शरद जैन, वैशाली के विमल शर्मा, एवं झारखंड के डॉ. मनोहर बाथम के नेतृत्व मे अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधियोंयों ने इस राष्ट्रीय चर्चा में अपने विचार रखे. आंचलिक साहित्य – कला संबंधी धरोहरों एवं पांडुलिपियों के संरक्षण, वार्षिक हिंदी ओलंपियाड का आयोजन, सुदूर अंचलों में साहित्य एवं अन्य विषयों पर शोध एवं अनुसंधान के कार्यों के विस्तार, सहित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास का समन्वय एवं समायोजन जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई. जिसे देश के विश्वविद्यालयों में लागू कराने की योजना पर विचार किया गया.
सांध्य कालीन कार्यक्रमों में टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा वनमाली जी की कहानी जिल्द साज पर एक बेहतर नाट्य प्रस्तुति दी गई, जिसे देश के अलग-अलग केंद्रों से आए हुए साहित्यकारों और कलाकारों ने सराहा.
द्वितीय दिवस के कार्यक्रम में आयोजित व्यंग विधा को साहित्य में प्रमुख स्थान दिलाने एवं उसके संग्रहों के प्रकाशनों की बारे में एक विशेष आयोजन सायं कालीन 03 बजे से प्रारंभ सत्र में संपन्न हुआ. जिसमें कैलाश मंडलेकर, शांतिलाल जैन, मलय जैन, विजय श्रीवास्तव एवं सुनील सक्सेना जैसे व्यंग्य कारों ने अपनी व्यंग रचनाओं की श्रेष्ठ प्रस्तुतियां देकर इसे प्रमाणित किया. कार्यक्रम के समापन मे मुख्य अतिथि संतोष चौबे ने आईसेक्ट प्रकाशन मे व्यंग्य संग्रह के पुस्तकों के प्रकाशन हेतु आस्वासन दिया. देर शाम सायं 07 बजे से गीत गजलों और कविताओं से सजी राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. लीलाधर मंडलोई, कथाकार मुकेश वर्मा एवं संतोष चौबे जैसे विद्वान साहित्यकारों की मंचीय उपस्थिति में इस कवि सम्मेलन में मोहन सगोरिया, ऋषि श्रृंगारी, महेश कटारे, बलराम धाकड़, मनोज जैन “मधुर”, सहित कोरिया वनमाली सृजन केंद्र के गौरव अग्रवाल ने “सौगंध मुझे है आज पार्थ” कविता एवं एवं वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने ” मैं जिस मिट्टी में जन्मा हूं वह सुर- गुंजा की माटी है अप भ्रशो ने कई नाम दिए कोरिया की कारीमाटी है. गीत प्रस्तुति से उपस्थित जनसमुदाय को तालियां बजाकर गीत प्रस्तुति की सराहना और अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए बाध्य कर दिया. देर रात तक चलते इस कवि सम्मेलन को देश के प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व ज्ञानपीठ अध्यक्ष लीलाधर मंडलोई ने अपने संबोधन से रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया.।