छत्तीसगढ़

हिंदी केवल एक भाषा नहीं इस देश की सांस्कृतिक पहचान भी है- रमेश सिन्हा

संबोधन संस्थान द्वारा हिंदी दिवस पर संगोष्ठी आयोजित

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मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। हिंदी केवल एक भाषा नहीं बल्कि इस देश की सांस्कृतिक पहचान भी है यही कारण है कि ज्यादातर देश राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी भाषा में ही अपने उदगार व्यक्त करते हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री भी हिंदी में ही अपनी बात विदेश के विभिन्न मंचों पर रखते हैं
उक्त आशय के विचार चर्चित साहित्यकार रमेश सिन्हा ने संबोधन संस्थान द्वारा हिंदी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किये, उन्होंने कहा कि हिंदी सरल सहज और मन से निकलने वाली भाषा है. मनेन्द्रगढ़ अंचल के साहित्यकारों की पुस्तकों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें खुशी होती है कि हमारे अंचल के साहित्यकारों पर कई शोध हो रहे हैं. यह इस अंचल के साहित्यिक परिवेश का प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है.
निदान सभागार मनेन्द्रगढ़ में संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान मनेन्द्रगढ़ द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 15 सितंबर 2024 को “भारत के विकास में हिंदी का योगदान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. जिसमें आईसेक्ट महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ के प्राचार्य संजीव सिंह ने विशिष्ट अतिथि की आसंदी से कहा कि अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा में हिंदी के प्रति उदासीनता आज चिंता का विषय है. उच्च विद्यालयों में भी छात्रों द्वारा सही हिंदी नहीं लिख पाना एवं मात्रा के त्रुटियां विद्यालयों की चिंता में शामिल होना चाहिए. आज अंग्रेजी रोजगार की भाषा हो सकती है पर हिंदी हमारी अपनी पहचान है.
वरिष्ठ साहित्यकार बीरेन्द्र श्रीवास्तव ने संगोष्ठी पर विचार रखते हुए कहा कि हिंदी आज विश्व बाजार की भाषा बन चुकी है जो भारत के विकास के लिए एक अच्छा संकेत है. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या के इस देश में जो कंपनियां आ रही है उन्हें अब हिंदी जानना जरूरी हो गया है. छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में करने के निर्णय का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के ऐसे शब्द जिनका हिंदी रूपांतरण नहीं है उसे यथावत हिंदी शब्दकोश में शामिल करने से हमारी भाषा का शब्दकोश बढ़ेगा, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदी माध्यम भारत के विकास में एक सशक्त कदम होगा.
चर्चित साहित्यकार गौरव अग्रवाल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि हिन्दी को अभी राजभाषा से राष्ट्रभाषा तक का सफर तय करना अभी शेष है . हिंदी पर महाविद्यालयों की भूमिका प्रस्तुत करने के आमंत्रण पर महिला महाविद्यालय की हिंदी की व्याख्याता श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव ने कहा कि घर का वातावरण हमारे बच्चों को अच्छी हिंदी की प्रथम पाठशाला है आप अपने बच्चों को अच्छी हिंदी सीखाना एवं गलतियों को सुधारने हेतु प्रोत्साहन हमें घर पर देना होगा. हिंदी के प्रति यह ललक हमें उच्च विद्यालयों तक स्तरीय हिंदी प्रदान करेगी. हिंदी के संपूर्ण ज्ञान के बिना अंग्रेजी का ज्ञान अधूरा ही रहेगा.
अध्यक्षीय उद्बोधन में संबोधन संस्था अध्यक्ष अनिल जैन ने हिंदी की भावना की सार्थकता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जब अमेरिका की धरती पर 11 सितंबर 1893 मे शिकागो में प्रथम वक्तव्य दिया था. तब मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों का उद्बोधन इस देश की हिंदी भाषा के सौंदर्य और सम्मान का प्रतीक था. हिंदी के विकास पर भारत का विकास टिका है. हिंदी आज शिक्षा से अलग होकर व्यवसाय की भाषा बन चुकी है यह इस देश को ऊंचाइयों तक ले जाएगी.
साहित्यकार एस एस निगम ने कहा कि घर परिवार में हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए मॉम एवं डेट की भाषा से अलग हमें पारिवारिक माहौल में मां मैया में एवं पिताजी जैसे शब्दों का प्रयोग करना होगा अभी हम हिंदी भाषा के अपनात्व को पहचान सकेंगे
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अंचल के रचनाकारों ने अपनी साहित्यिक यात्रा का परिचय कविताओं की प्रस्तुति के साथ दिया. देर शाम तक आयोजित हिंदी दिवस के इस संगोष्ठी के कार्यक्रम में अंचल के साहित्यकार गौरव अग्रवाल, विजय गुप्ता , श्रीमती वर्षा श्रीवास्तव, नरोत्तम शर्मा ,पुष्कर तिवारी, श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव ,नरेंद्र श्रीवास्तव , श्याम सुन्दर निगम, पवन श्रीवास्तव ,रमेश सिन्हा, अनिल जैन, बीरेंद्र श्रीवास्तव एवं संजीव सिंह की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की.


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