मैं चुप रहता हूँ, इतना बोल कर भी….. तू चुप रहकर भी, कितना बोलता है…..!
वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे की कलम से...
लोकसभा में राहुल गाँधी से जाति पूछने वाले..(जिनकी जात का ही पता नहीं वो गणना की बात कर रहे हैं) सांसद अनुराग ठाकुर के इस भाषण पर देश के पीएम का ट्वीट सोच, दृष्टि कोण, मानसिकता बताने के लिए पर्याप्त है! अनुराग ठाकुर के निकृष्ट भाषण की तारीफ कर रहे हैं !सोशल मीडिया पर राहुल की जाति, गोत्र पूछने वालों का जवाब तो मनु स्मृति में ही है! हिन्दू धर्म की बाइबिल बताई जाने वाली मनु स्मृति के 9वें अध्याय के अनुसार अकेली पुत्री होने पर उसकी संतान को उस पुत्री के पिता अर्थात अपने नाना का गोत्र,श्राद्ध, अनुष्ठान के लिए मिल सकता है।क्योंकि वो अपने नाना के पुत्रवत होते हैं,पारसी धर्म में कोई पारसी किसी गैर-पारसी महिला से विवाह करता है तो ग़ैर-पारसी महिला अपना धर्म छोड़ कर पारसी नहीं हो जाती है? इस विवाह से उत्पन्न संतान अपनी माँ के धर्म में रहती हैँ ।इस तरह इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू की अकेली संतान थीं। वह भले ही पारसी फ़िरोज़ गांधी से विवाह किया था,बावज़ूद वो पारसी नहीं हुई। मनु स्मृति के ही अनुसार उनके पुत्र राजीव गांधी, नेहरू की इकलौती पुत्री इंदिरा गांधी के पुत्र होने के चलते पंडित नेहरू के पुत्रवत,उनके धर्म और गोत्र के धारक हुए। यानि राजीव, हिन्दू ,ब्राह्मण कौल,दत्तात्रेय गोत्रधारी हुए तो पुत्र राहुल भी हिन्दू,कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र धारी हैं। मनुस्मृति के अनुसार पारिवारिक परिवेश को ढालते हुए गांधी परिवार समाजवाद व उदारवाद की लड़ाई लड़ रहा है। पिछड़ों, दलितों, अल्प संख्यकों, आदिवासियों की लड़ाई लड़ रहा है। ब्राह्मण वाद (ब्राह्मणों द्वारा प्रचारित कुरीतियों) का विरोध करते हुए जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है। असली डर इसी बात के खुल जाने का था…!कोई यह भी तो पूछे कि अनुराग तो ‘ठाकुर’ लिखते हैं जबकि उनके पिता का सरनेम ‘धूमल’ है..!
विभाजन की विभीषिका
को याद करने का औचित्य क्या…!
14 अगस्त 1947 की तारीख को भारत भला कैसे भूल सकता है!एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी, वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे।लाखों लोग इधर से उधर हो गए।घर-बार छूटा, परि वार छूटा, लाखों की जानें गईं यह दर्द था विभाजन का… भारत के लिए यह विभीषिका से कम नहीं थी। पिछले साल आजादी की सालगिरह से पहले पीएम मोदी ने बड़ा ऐलान किया था कि 14 अगस्त कोविभा जन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाएगाऔर हाल ही में इसकी शुरुआत भी हो गई …,भारत-पाक विभाजन एक ऐसा दुःखद अध्याय है जिसे कोई भी भारतीय शायद ही याद रखना चाहे ! इससे सिर्फ भारत का भूगोल ही नहीं बदला, आत्मा को भी चोट पहुंची थी। लाखों विस्थापन के फलस्वरूप अपनी जड़ों से कट गए, हजारोँ ने तो इसकी कीमत अपनी जान दे कर भी चुकायी। त्रासद विभीषिका को आजादी के एक दिन पहले याद करने का औचित्य क्या है….? इसका स्मरण कर क्या हासिल होने वाला है…? किसको और क्यों याद दिलाई जा रही है इस त्रासदी की….? सत्ता पर कब्जा बनाये रखने के लिए कितनी बार, कब तक, किन-किन प्रतीकों का उपयोग कर सामाजिक विभाजन का खेल खेला जाता रहेगा ? हमे यह याद रखना होगा कि इस बहु धर्मी, बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राष्ट्र का विकास देश के सामाजिक ताने- बाने को तोड़ कर नहीं किया जा सकता। सह- अस्तित्व, सामाजिक सहिष्णुता से उपजी एकात्मकता ही देश को विकसित और खुशहाल बना सकती है।
सिर्फ 7 महीने में 25
हजार करोड़ का कर्ज….!
छत्तीसगढ़ में कर्ज को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है।साय सरकार को बने अभी 7 महीने ही गुजरे हैं और भाजपा सरकार 25 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है और अब कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का दावा है कि कांग्रेस की भूपेश सरकार ने 5 साल में 50 हजार करोड़ का कर्ज लिया था, साय सरकार ने 7 महीने में ही 25 हजार करोड का कर्ज ले चुकी है।कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि साय सरकार 5 साल में पूरे प्रदेश को कर्ज से डूबो देगी…? साय सरकार को आर्थिक व्यस्थापन की समझ नहीं है और उसे नहीं पता है कि बजट का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।जो भी हो 6 महीने में 25 हजार करोड रुपए का कर्ज चिंता का विषय तो है ही। शायद यही वजह है कि विपक्षी कांग्रेस इसे लेकर सवाल खड़े कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि छग के विकास की दिशा में कुछ बदलाव आएगा या फिर सरकार के दावे केवल सियासी शिगूफा साबित होंगे….?
सिर्फ हाथी दिवस
मनाने से क्या होगा…..?
केवल हाथी दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा,हाथी कॉरिडोर भी बनाना होगा वन्य क्षेत्रों को सुरक्षित रखना होगा, नये खनन भी रोकना होगा, वन क्षेत्र सिकुड़ने के कारण ही मानव- हाथी संघर्ष छ्ग में तेज है।छग में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ी है, कहा जाता है कि हांथी अपने मूल क्षेत्र में जरूर लौटते हैं, छ्ग में आकर मादा हाथी बच्चे पैदा कर रही है, यह इस बात का गवाह है कि छ्ग की आबो हवा उन्हें रास आ रही है और स्थायी रूप से रहना चाहते हैं।उड़ीसा और झारखंड के हाथी भी अब छत्तीसगढ़ में ठहर गये हैं।10 साल पहले राज्य में क़रीब 150 हाथी थे जो अब बढ़कर 350 से ज्यादा हो गए हैं। प्रदेश में अभी तीन हाथी कॉरिडोर हैं।गरियाबंद के सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व में 5 साल पहले तक एक हाथी भी नहीं थे लेकिन हाथियों के एक दल ने अपना स्थायी रहवास बना लिया है।वन विभाग केअनुसार सरगुजा क्षेत्र में 125, बिलासपुर में 192 और रायपुर सर्किल में 42 हाथी मौजूद हैं। इसके अलावा धर्मजयगढ़ क्षेत्र में 108 हाथी विचरण कर रहे हैं।ये हालत तब जबकि बीते लगभग दो दशक राज्य में 77 से अधिक हाथियों की मौत तो केवल करेंट लगने से ही हुई है।
और अब बस…..
- किस मंत्री के अति उत्साह में दिये जा रहे निर्देश से पुलिस अफसर परेशान हैं….?
- रायपुर, बिलासपुर, बस्तर में प्रमोटी आईएएस कमिश्नर बनाये गये हैं।
- अब पुलिस मुख्यालय सहित फील्ड में पदस्थ 1/2 आईजी के प्रभार बदलने की चर्चा है?