हिन्दू धर्म में होली का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है – पुरोहित प.नित्यानंद द्विवेदी
राम मंदिर मैदान में सार्वजनिक होलिका दहन का आयोजन
मनेंद्रगढ़. सनातन परंपरा के अनुसार नगर के निर्देशन में स्थित राम मंदिर मैदान में सार्वजनिक होलिका दहन का आयोजन किया गया इस अवसर पर हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने होलिका की परिक्रमा कर पारिवारिक सुख समृद्धि की मंगल कामना की वहीं हलकान होने के साथ ही लोगों ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर पर्व की शुरुआत की. राजस्थान नवयुवक मंडल, हरियाणा नागरिक संघ एवं मारवाड़ी युवा मंच के तत्वाधान में श्री राम मंदिर मैदान में सार्वजनिक होलिका दहन मंगलवार की सुबह से ही महिलाओं ने मैदान में पहुंचकर होलिका की पूजा अर्चना की इसके उपरांत रात्रि 8:00 बजे से ही भारी संख्या में लोग मैदान में जमा होने लगे. सर्वप्रथम श्री राम मंदिर के महंत प. ॐ नारायण द्विवेदी ने वैदिक परम्परा के अनुसार होलिका की पूजा अर्चना करवाई. इस अवसर पर आयोजन समिति के अशोक बोदिया, विजय अग्रवाल, निरंजन मित्तल, किशोर अग्रवाल, बिल्लू बोदिया समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे. कार्यक्रम में भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरों पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजकुमार केशरवानी, जनपद अध्यक्ष डा. विनय शंकर सिंह वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोपाल गुप्ता,बलबीर अरोरा , समेत क्षेत्र के गणमान्य जन काफी संख्या में मौजूद रहे. होलिका की पूजा अर्चना के उपरांत रात 8.51 बजे होलिका दहन किया गया. होलिका दहन होते ही समूचा परिसर भक्त पहलाद के जयकारों से गूंज उठा. जैसे-जैसे होलिका की अग्नि प्रज्वलित होती गई वैसे -वैसे जलती हुई होलिका से भक्त पहलाद का निकलना वहां मौजूद लोगों को काफी रोमांचित कर रहा था.देर रात तक लोग मैदान में जमा रहे. इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन प. रामचरित द्विवेदी ने किया. होलिका दहन के उपरांत भजन कीर्तन का दौर शुरुआत हुआ जिसमें लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया.
होली पर्व कब शुरू हुई थी, क्या है इतिहास और इसका महत्व?. इस सम्बन्ध में नगर पुरोहित प.नित्यानंद द्विवेदी ने बताया कि हिन्दू धर्म में होली का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है । इस पर्व की शुरुआत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हो जाती है। साथ ही इससे जुड़ी कथा का भी विशेष महत्व है।हिंदू धर्म में कई प्राचीन व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से होली को सबसे प्राचीन पर्व माना जाता है। खुशियों के इस त्यौहार का संबंध भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। होली पर्व के दिन देशभर में गुलाल और अबीर से रंगो की होली खेली जाती है और रंगोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगो के इस पवित्र त्योहार को वसंत ऋतू का संदेशवाहक भी माना जाता है। वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को कई नाम एवं तरीकों से मनाया जाता है। जिनमें फगुआ, धूलंडी मुख्य है। खास बात यह है ब्रज में होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है और उसी दिन से गुलाल से होली खेली जाती है। फाल्गुन मास में इस पर्व को मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी के नाम से भी जाना जाता है।