आंचलिक पर्यटन को बढ़ावा देना साहित्यकारों का दायित्व -गिरीश पंकज
मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। आंचलिक पर्यटन को बढ़ावा देना साहित्यकारों का दायित्व है. और इस कार्य को बीरेन्द्र श्रीवास्तव जैसे साहित्यकार बखूबी कर रहे हैं उक्त आशय के विचार कोसम साहित्य समारोह के सम्मान अवसर पर व्यक्त करते हुए देश के चर्चित साहित्यकार मुख्य अतिथि गिरीश पंकज ने व्यक्त किए उन्होंने कहा कि बीरेंद्र श्रीवास्तव के लेखन से मैं पिछले कई दशकों से परिचित हूँ. वर्तमान में कई नए पर्यटन स्थलों की तथ्य परख ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ उसकी प्रस्तुति आज चर्चा का विषय बना हुआ है यह अंचल के लिए जहाँ एक उपलब्धि है वहीं आंचलिक पर्यटन एवं पर्यावरण के आकर्षण को देश और प्रदेश सभी के लिए जाना जरूरी है, जिनमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका उभर कर सामने आ रही है. यह मनेन्द्रगढ़ सहित छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरव की बात है.
मनेन्द्रगढ़, टीम अभिव्यक्ति बैकुंठपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय कोरिया साहित्य समारोह 2024 के मंच पर इस वर्ष का “बागीश साहित्य सम्मान” अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार बीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव को दिया गया. टीम अभिव्यक्ति के संयोजक रूद्र नारायण मिश्र ने बताया कि यह सम्मान वर्ष 2023 से प्रारंभ किया गया है जो सुधीर्घ साहित्य साधना में अनवरत सृजन कर्ता साहित्यकार जिसमें नए साहित्य सृजन कर्ताओं को आगे बढ़ाने एवं साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों की बीच चर्चित व्यक्तित्व को प्रदान किया जाता है.
मंच पर उद्घोषक साहित्यकार योगेश गुप्ता ने परिचय देते हुए बताया कि 1955 में मनेन्द्रगढ़ की माटी में जन्मे कोल इंडिया के रिटायर्ड माईनिंग इंजीनियर, वीरेन्द्र श्रीवास्तव 1975 से लगातार साहित्य लेखन की यात्रा में संलग्न हैं. वीरेंद्र श्रीवास्तव 1977 से अब तक आकाशवाणी अंबिकापुर के चर्चित रचनाकार एवं अनुमोदित रेडियो ड्रामा कलाकार रहे हैं अपने संचालन शैली के लिए जाने पहचाने व्यक्तित्व श्री श्रीवास्तव संबोधन साहित्य एवं कला परिषद मनेन्द्रगढ़ के संस्थापक सदस्य एवं 12 वर्षों तक अलग-अलग समयकाल में संबोधन की अध्यक्षता का नेतृत्व कर नए रचनाकारों एवं कलाकारों को प्रोत्साहन एवं मंच प्रदान किया है. राष्ट्रीय वनमाली सृजन पीठ की कोरिया इकाई “वन माली सृजन केंद्र” कोरिया के संयोजक रहते हुए आपने देश के कई मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दी है वहीं मंच के उद्देश्य के अनुरूप आंचलिक रचनाकारों को आगे बढ़ने का अवसर दिया. वर्तमान लेखन में अंचल के जाने अनजाने पर्यटन, पर्यावरण,एवं आंचलिक धरोहरों, के चिंतन के साथ अपनी शोध परक साप्ताहिक लेखो से अपनी पहचान बनाने वाले वीरेन्द्र श्रीवास्तव के लेख कई विद्यालयों एवं सुधी पाठकों द्वारा संकलित भी किया जा रहा है. अपनी 50 वर्षों के लेखन यात्रा में उनके दो काव्य संग्रह प्रकाशित है. इनकी एक पुस्तक “आज का एकलव्य” प्रधानमंत्री की निजी ” पुस्तकालय में शामिल है .इनकी सुदीर्घ उपलव्धि परक सतत सृजन यात्रा एवं आंचलिक हिंदी साहित्य को चर्चित बनाने की लंबी साधना के लिए इन्हें “वागीश सम्मान 2024” से सम्मानित किया जाता है.
कोरिया साहित्य समारोह 2024 के मंच पर देश के चर्चित व्यंगश्री सम्मान से सम्मानित 117 पुस्तकों के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज साहित्यकार आशुतोष चतुर्वेदी एवं प्रोफेसर एम. सी. हिमधर तथा टीम अभिव्यक्ति के संरक्षक श्री नरेश सोनी के सानिध्य में अंग वस्त्र, सम्मान पत्र, सम्मान स्मृति चिन्ह, एवं कोसम स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया . इस अवसर पर कोसम परिवार की ओर से साहित्य के क्षेत्र में उभरते साहित्यकार गौरव अग्रवाल को “आरोही सम्मान” से एवं बिलासपुर से आई डॉ. सुनीता मिश्रा को “विदुषी सम्मान” से सम्मानित किया गया. छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्यकार एवं कलकारों के बीच वरिष्ठ साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ,डॉ. सुनीता मिश्रा, नाट्य एवं संगीत कलाकार के साथ-साथ अंचल के साहित्यकार गौरव अग्रवाल सतीश उपाध्याय, सरिता श्रीवास्तव, पत्रकार रामचरित द्विवेदी, मंजुला कौरव,वीरांगना श्रीवास्तव, राजेश जैन, पुष्कर तिवारी परमेश्वर सिंह सहित सैकड़ो साहित्य एवं कला प्रेमी इस अविस्मरणीय पल के साक्षी रहे हैं. अंचल के साहित्यकारों एवं कलाकारों ने “वागीश सम्मान” प्राप्ति की उपलब्धि के लिए के लिए बीरेन्द्र र्श्रीवास्तव एवं आरोही सम्मान के लिए गौरव अग्रवाल को बधाइयां दी है.