छत्तीसगढ़

महात्मा गाँधी का आजादी के पहले छत्तीसगढ़ में दो बार आगमन और चर्चा….

वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे की कलम से....{किश्त203}

Ghoomata Darpan

 

यह सवाल बड़ा मौजूं है कि एक व्यक्ति जो हाड़-मास का बना था।अपने जन्म के 155 साल पूरा होने के बाद भी कभी आसमायिक नहीं रहा ? जो लोग उन्हें मानते हैं और जो लोग भी उनके खिलाफ खड़े हैं..? उनके लिये भी गांधी का होना जरूरी है।सहमति-असहमति विचारों की बुनियाद है।पूरा देश 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है,इसी के साथ बापू के छत्तीसगढ़ आगमन को भी 104 साल पूरे होने वाले हैं।हालांकि बापू के छ्ग आगमन को लेकर प्रमाण नहीं मिलने को लेकर दो अलग-अलग मत चर्चा में रहते हैँ….? 20 दिसंबर 1920 को गांधी पहली बार अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ कंडेल सत्याग्रह के सिलसिले में छत्तीसगढ़ आये थे। पं. सुंदरलाल शर्मा के अनुरोध पर गांधी पहली बार छत्तीसगढ़ आये थे।यह बात और है कि उनके आने के पहले आंदोलनकारियों की मांग अंग्रेज हुकूमत ने मान ली थी। दूसरी बार गांधी 22 नवंबर 1933 को पुन: छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आये थे। हरिजन उत्थान, तिलक स्वराज्य फंड के कार्यक्रम के तहत आये थे। दोनों ही प्रवासों पर गांधी जी ने छग के कई स्थानों की यात्राएं की थी।20 दिसं बर 2024 को गांधी की छग यात्रा के 104 साल पूरे हो जाएँगे।माना जा रहा है कि जब बापू पहली बार छग आयेे थे तो उनकी उम्र 50- 51साल के आसपास थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पहली बार छत्तीसगढ़ आगमन हुआ था। बापू कंडेल ग्राम(वर्तमान धमतरी जिले) में किये गये सत्याग्रह के लिए आये थे। कलकत्ता से ट्रेन से बापू को लेकर ‘छत्तीसगढ़ के गांधी ’ पं.सुंदर लाल शर्मा 20 दिसंबर 1920 को रायपुर पहुंचे थे।इतिहासकारों के मुताबिक रायपुर रेलवे स्टेशन में गांधी का जोरदार स्वागत पं.रवि शंकर शुक्ल,ठा.प्यारेलाल सिंह,सखाराम दुबे, वामन राव लाखे आदि ने किया था। गांधीजी ने रायपुर के वर्तमान गांधी चौक पर विशाल सभा को सम्बोधित किया था। इसी के बाद नाम गांधी चौक पड़ा। गांधीजी ने इसके बाद ब्राह्मणपारा स्थित आनंद समाज वाचनालय प्रांगण में महिलाओं की एक सभा को सम्बोधित किया था।सभा में महिलाओं ने तिलक स्वराज फंड के लिये लगभग दो हजार रुपए मूल्य के गहने दान दिये थे।जानकारी के मुताबिक गांधी 21दिसंबर को धमतरी गये ।कंडेल,कुरुद ग्राम भी गये वहाँ सत्याग्रह में शामिल हुए थे। इसके बाद गांधीजी वापस रायपुर पहुंचे, यहां से नागपुर गए थे। गांधीजी नागपुर में 26 दिसंबर 1920 को आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए थे। 1933 में दूसरी बार बलौदाबाजार भी आए थे। उनके आगमन की स्मृति आज भी है। इतिहासकार यह भी बताते है कि जिले के मंडी प्रांगण में सभा को संबोधित किया था, वहाँ मौजूद कुंआ से उन्होंने दलित से पानी निकलवा कर उसके ही हाथों से पानी पिया था।गांधीजी अपनी यात्रा के दौरान बलौदाबाजार के जगन्नाथ मंदिर गए, जिसे शहरवासी अब गोपाल मंदिर के नाम से भी जानते हैं। वहां कुछ दलितों के साथ मंदिर में प्रवेश भी किया था।तब भगवान मंदिर में रेशमी वस्त्र पहने हुए थे तो उन्होंने भगवान को खादी का वस्त्र पहनाने को कहा और उनके लिए खादी का वस्त्र मंगवाकर दिया था। (फोटो-गजेटियर ऑफ़ इंडिया 1973, धमतरी नगर पालिका परिषद में लगा एक पत्थर)


Ghoomata Darpan

Ghoomata Darpan

घूमता दर्पण, कोयलांचल में 1993 से विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध अखबार है, सोशल मीडिया के जमाने मे आपको तेज, सटीक व निष्पक्ष न्यूज पहुचाने के लिए इस वेबसाईट का प्रारंभ किया गया है । संस्थापक प्रधान संपादक प्रवीण निशी का पत्रकारिता मे तीन दशक का अनुभव है। छत्तीसगढ़ की ग्राउन्ड रिपोर्टिंग तथा देश-दुनिया की तमाम खबरों के विश्लेषण के लिए आज ही देखे घूमता दर्पण

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button