मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच क्यों नहीं?
खाद्य पदार्थो के मिलावट खोरों पर कोई कार्यवाही न होने से उनके हौसले बुलंद हैं । दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों में संबंधित विभाग शुरू से उदासीन रहा है । मनेद्रगढ़ एवं आसपास के होटलों में दूध से बनी मिठाईयों की जांच समय-समय पर होनी चाहिए । कई बार बिना खाद्य लाइसेंस एवं पंजीयन के खाद्य सामग्री संबंधी दुकान भी संचालित होती रहती है, लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने एवं घटिया सामग्री उपयोग करने पर उन पर कार्रवाई भी होना चाहिए। दूध डेयरी, चाट के ठेले , ठेले वालों के खाद्य पदार्थ प्रायः काफी दूषित होते हैं ,जो बीमारी का घर है। खाद्य पदार्थों में मिलावट है या नहीं संबंधित फूड इंस्पेक्टर को एवं विभाग को सक्रिय रहकर कार्यवाही करनी चाहिए । मिलावटी एवं नकली दूध ,खोवा, पनीर दूध से बने खाद्य सामग्री की गुणवत्ता प्रायः संदिग्ध रहती है । मिलावटखोरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हेतु विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए इसमें जिला स्तर पर एक विशेष निगरानी दल का गठन हो, जिसमें खाद्य सुरक्षा विभाग, दुग्ध संघ, पुलिस विभाग ,नापतोल विभाग , खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी हैं, इस टीम द्वारा आकस्मिक निरीक्षण किया जाना चाहिए तभी कुछ हद तक मिलावट पर अंकुश लगाया जा सकता है।
गुंडागर्दी पाप है कानून हमारा बाप है.
विगत दिनों राजधानी रायपुर के वीआईपी रोड स्थित एक क्लब में पुलिस ने दो अपराधियों को अच्छा सबक सिखाया । अपराधी, ब्याज की रकम वसूलने के लिए धमकी -चमकी और मारपीट कर रहे थे, दूसरा आरोपी ब्याज के अवैध धंधे में लिप्त था। दोनों अपराधियों में गर्लफ्रेंड के किसी मामले में विवाद हो गया उन्होंने एक पक्ष के कार में क्रिकेट के बल्ले से तोड़फोड़ की, चाकू से हमला किया और बीयर की बोतल तोड़कर भी हमला किया। दूसरे पक्ष के मुख्य आरोपी ने लाइसेंस पिस्टल से गोली चलाई । पुलिस ने इस मामले पर तत्काल एक्शन लिया और फिर आरोपियों की पुलिस ने जमकर ठुकाई की। उनके बाल कटवा दिए और जुलूस के तर्ज पर हथकड़ी लगाकर पैदल सड़कों पर घुमाया , उनसे नारे लगवाए -” गुंडागर्दी करना पाप है, कानून हमारा बाप है-” । दोनों अपराधी सड़क पर यही नारा लगाते रहे ,।कुछ ऐसी ही सख्ती अपराधियों के साथ होनी ही चाहिए जिससे छत्तीसगढ़ में अमन चैन बरकरार रह सके । गनीमत है अपना मनेद्रगढ़ और आसपास का इलाका काफी शांत और सभ्य है।
वन्य जीव बेमौत मर रहे, किसकी लापरवाही?
जंगलों में बहुत तेजी से वन्य जीव मारे जा रहे हैं, वन विभाग की लापरवाही एवं उदासीनता से वन्य जीव तस्कर जंगली जीवों के खाल को नोच रहे हैं। विगत दिनों वन्य जीव प्रेमी नितिन संघवी ,वाटिका एनिमल सेंचुरी की कस्तूरी बल्लाल, संकल्प गाय धानी और एनिमल राइट्स कार्यकर्ता डॉ किरण आहूजा ने वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने मांग की है कि -जंगल सफारी (नया रायपुर )जू में नवंबर में 5 दिनों में 17 चौसिंगो की मौत के बाद भी वन विभाग के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा वन्य जीव चौसिंगो को बचाने की कार्यवाही न करना यह स्पष्ट अपने जिम्मेदारी से मुकरने और लापरवाही की बात है । यह सच है कि यह वन विभाग के लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में भी अवैध शिकार के मामले निरंतर सामने आ रहे हैं कुछ दिन पहले गोमर्डा अभ्यारण में एक बाघ को शिकारियों ने करंट लगाकर मार दिया था ,इस मामले को वन विभाग को 20 दिन के बाद जानकारी मिली। सूरजपुर वन मंडल में एक हथिनी को करंट से मारकर 12 टुकड़े कर जमीन में गाढ़ दिया गया था और वन विभाग जानबूझकर 15 दिन तक किसी भी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया। वन्य जीवों के तस्कर, इसी प्रकार जंगलों से वन्य जीवों का सफाया करते रहे तो निश्चित रूप से हमारी जैव विविधता एवं पर्यावरण को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या होगा” रीपा” का?
पूर्ववर्ती सरकार की एक योजना महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क( रीपा) प्रोजेक्ट भी थी । इस प्रोजेक्ट को बनाने में लाखों-करोड़ों रुपए लगे थे, लेकिन अब इसमें चल रही सारी गतिविधियां अब ठंडी पड़ी हुई है । 20 करोड़ रुपए से इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की मंजूरी मिली थी यानी एक प्रोजेक्ट में करीब 2 करोड रुपए खर्च किए गए थे अब अधूरे निर्माण में और इंडस्ट्रियल पार्क में ताला लगा हुआ है । जानवरों के लिए बने नाद खाली हैं, मशरूम से निर्माण बंद हैं । मुर्गी और बकरी पालन सेट बंद पड़ा है। पाइप और कबाड़ बिखरे पड़े हैं । परिक्षेत्र में मसाला उत्पादन यूनिट, दूध ,बकरी यूनिट सब बंद है ।आसपास लोगों को यह नहीं मालूम के प्लांट में क्या होता था? क्या बनता था? कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नजर नहीं आ रहे। इस बंद यूनिट का भविष्य में किस रूप से उपयोग हो सकेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। गोबर से पेंट बनाने और अन्य मशीन सब बंद पड़ी है ।नई सरकार को लाखों करोड़ों रुपए से निर्मित रीपा पार्क के सदुपयोग के लिए भी रणनीति बनाना चाहिए।
राजस्व प्रकरण एवं कोरिया कलेक्टर
कोरिया कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने राजस्व के बढ़ते लंबित प्रकरण को देखते हुए, सख्ती के साथ सभी संबंधित राजस्व अमले को निर्देश दिया है, कि राजस्व के प्रकरण लंबित न होने पाए। काश एमसीबी जिले के कलेक्टर भी कुछ ऐसा ही कड़क निर्देश जारी करते तो, शायद राजस्व के लंबित प्रकरण में कुछ तेजी आती ।कोरिया कलेक्टर ने बटांकन ,सीमांकन, नामांतरण ,समय सीमा के भीतर सारे प्रकरण निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिले के सभी एसडीएम, तहसीलदार, राजस्व अधिकारियों से कहा है कि फरियादियों का कार्यालय के चक्कर लगाने की परिपाटी को समाप्त करें। मनेद्रगढ़ में तो डंके की चोट पर कई पटवारी जमीन के नाम पर , नकल देने के नाम पर अवैध राशि की मांग करते हैं। आर आई बिना रिश्वत लिए जमीन से संबंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करते , और न अपना कोई प्रतिवेदन लिखते हैं ।राजस्व में भ्रष्टाचार इतना गहरा है इसको समाप्त कर देना इतना आसान भी नहीं दिखता।
विद्यालय के मासूम छात्र सड़क पर

विगत दिनों अंबिकापुर के पास मैनपाट विकासखंड के एकलव्य बालक विद्यालय के प्रभारी उप प्राचार्य के खिलाफ अभद्रता और अ-मर्यादित व्यवहार किए जाने का आरोप लगाते हुए 400 से अधिक बच्चों ने सरगुजा कलेक्टर से शिकायत करने 25 किलोमीटर पैदल ही कूच किया। यह सुखद संजोग है की एमसीबी कोरिया जिले की तरह, सरगुजा कलेक्टर भास्कर विलास संदिपान भी काफी संवेदनशील कलेक्टर है। उन्होंने इस मामले का तत्काल संज्ञान लिया, शैक्षणिक जगत के लिए यह सचमुच बहुत शर्मनाक स्थिति है जब विद्यालय के पढ़ने वाले छात्र विद्यालय एवं हॉस्टल को छोड़कर सड़कों पर निकल आएं ।एकलव्य आवासीय विद्यालय मैनपाट के विद्यार्थियों ने सरगुजा कलेक्टर से मुलाकात के लिए 25 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही तय की। कलेक्टर सरगुजा बच्चों से मित्रवत व्यवहार किया, आत्मिक चर्चा किया एवं बच्चों तक अपनी बात पहुंचाने, उन्हें मनाने में सफल रहे। रास्ते में ही बच्चों से उनकी बातचीत हुई और उनकी समस्या का निराकरण का उन्होंने आश्वासन दिया। बच्चे प्रभारी प्राचार्य की कार्यशैली से नाराज थे तत्काल कलेक्टर सरगुजा ने गड़बड़ी कर रहे एकलव्य आवासीय विद्यालय के अधीक्षक को हटा दिया ।
आश्रम, हॉस्टलों में भी ध्यान देना चाहिए।

आदिवासी एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विनय शंकर सिंह बनाए गए हैं।इन्होंने विगत दिनों आदिवासी,आश्रमों, विद्यालयों के सुधार के लिए मुख्यमंत्री का ध्यान दिलाया। यह बात सही है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बालक, बालिका आश्रम आश्रमों की स्थिति बेहद खराब रहती है इन आश्रमों और हॉस्टल में पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति दैनिक स्थिति की तरफ मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करने वाले काफी कम ही लोग होते हैं। आत्मानंद स्कूल में अनाप-शनाप करोड़ों रुपए फूंकने वाली पूर्ववर्ती सरकार ने कभी हॉस्टल और आश्रमों को उनकी व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रयास नहीं किया। लगभग छत्तीसगढ़ में 3000 से अधिक हॉस्टल और आश्रम है इन आश्रम और हॉस्टलों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, हॉस्टलों की मरम्मत , मॉडर्न हॉस्टल आश्रम सोने के लिए घर जैसा बिस्तर ,पढ़ने के लिए स्मार्ट फर्नीचर ,अलमारी ,शुद्ध पानी ,खाने की उत्तम व्यवस्था ,स्मार्ट डिजिटल लाइब्रेरी यह सब तो एक सपना जैसा ही लगता है। आखिर कब सुधरेंगी आदिवासी हॉस्टल आश्रमों की व्यवस्था? यह एक ही यक्ष प्रश्न है
राष्ट्रपति अवार्ड एवं एसपी कोरिया
कोरिया जिले में पदस्थ एसपी सूरज सिंह परिहार 2015 बैच के आईपीएस है । ये ट्विटर पर काफी सक्रिय है लगभग एक लाख फॉलोअर्स है ।कविता लिखना इनका शौक है एवं राष्ट्रपति के हाथों इन्हें क्रिएटिव राइटिंग और कविता के लिए “बाल श्री अवार्ड “से नवाजा जा चुका है। मनेद्रगढ़ की साहित्यिक संस्थाएं अपनी साहित्यिक बिरादरी में बड़े दिनों बाद साहित्यिक रुचि के पुलिस अफसर को पाकर की पदस्थापना से काफी आशान्वित हैं। उम्मीद है एमसीबी एवं कोरिया जिले के साहित्यकार कभी एक मंच पर साहित्यिक परिचय एवं कार्यक्रम के माध्यम से साहित्यकार एसपी सूरज सिंह परिहार से रूबरू हो सकेंगे। साहित्यकार अपने साहित्य सृजन से समाज को एक नई दिशा देने का काम करते हैं। जिससे समाज में अपनत्व एवं भाईचारे का भाव बढ़ता है। पुलिस अफसर से साहित्य का तालमेल काफी कम नजर आता है और जब नजर आता है तब साहित्यिक फिंजा भी खिल जाती है।
पूछते हैं सब सवाल
० स्वास्थ्य विभाग के किस सिविल सर्जन पर डी एमएफ फंड से डॉक्टर के मनमानी भर्ती के आरोप लगे ? जीवन दीप समिति में गड़बड़ी की शिकायत पर संचालनालय स्वास्थ्य सेवा द्वारा किस डॉक्टर को 5 करोड़ 56 लाख से अधिक वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया है?
० यह किसका कथन है ?आप जितनी ईट फेंकेंगे हम उसे विकसित भारत की नींव तैयार करेंगे ,आपका हर पत्थर समृद्ध भारत बनाने में काम आएगा।