छत्तीसगढ़

कांग्रेस सरकार के प्रमुख घोटाले पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लगाया आरोप

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चिरमिरी। एमसीबी। कांग्रेस सरकार के प्रमुख घोटाले पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लगाया आरोप लगाते हुए कहा कि

शराब घोटाला:
जब प्रदेश में भाजपा सरकार थी तब सन 2017 में हमने अवैध शराब को रोकने की पॉलिसी बनाई, प्रदेश में शराब बिक्री को शासन के अधीन लाकर शराब की क्वालिटी नियंत्रितकी। हमनें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई और शराब दुकानों को कम करते हुए (1078 से 719) प्रदेश में शराब बिक्री को धीरे-धीरे शराबबंदी की ओर ले गये। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने हमारी इस अच्छी नीयत से बनाई गई नीति में भी अपने भ्रष्टाचार के बीज बो दिए और शासन के अधीन इन दुकानों को माफियाओं के हाथों छोड़ दिया जिससे पूरे प्रदेश में अवैध शराब के काले कारोबार के रास्ते खुल गये।
इनकी इस भ्रष्टाचारी नीयत का परिणाम यह हुआ है कि भ्रष्ट अधिकारियों, शराब माफियाओं ने राजनीतिक संरक्षण में (और यह राजनीतिक संरक्षण मेरे शब्द नहीं बल्कि न्यायालय में 13000 पन्नों की ED की रिपोर्ट में अंकित शब्द हैं) ऐसे राजनीतिक संरक्षण में सरकारी दुकानों से बिना होलोग्राम की 40% ऐसी अवैध शराब बेची गई जिसका न तो वेट भरा गया और न एक्साइज ड्यूटी ।
जब केन्द्रीय एजेंसी ED ने इस घोटाले की जांच प्रारंभ की तो यह सामने आया कि राजनीतिक संरक्षण में प्रदेश के राजस्व को नुकसान पहुंचाते हुए 2000 करोड़ से अधिक का शराब घोटाला किया गया है। यह घोटाला पूरी तरह सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया, जिसमें न केवल मुख्यमंत्री  के ख़ास अधिकारी शामिल थे बल्कि राजनीतिक व्यक्ति तक भी भ्रष्टाचार के पैसों के तार ED ने अपनी रिपोर्ट में बताये हैं। भूपेश बघेल, पूछते रहते हैं कि प्रदेश में ED और IT के छापों से क्या मिला है? इन कार्रवाई से क्या सामने आया हैं तो मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि शराब घोटाले के मामले में अब तक प्रदेश में कुल 180 करोड़ रुपए की 119 अचल संपत्ति अटैच की गई है। इसके साथ ही ED ने माननीय न्यायालय में 13000 पन्नों की चार्जशीट प्रस्तुत की है।
अब मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  से पूछना चाहता हूँ कि जैसा ED ने अपनी चार्जशीट में इस पूरे सिंडिकेट के शीर्ष में एक Political Executive का नाम दर्ज किया है, जिसे 776 करोड़ रूपये दिए गये हैं। अब क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी यह बताएँगे कि आखिर वो शीर्ष में बैठा वो राजनीतिक व्यक्ति कौन है? और शराब घोटाले से कमाए गये 776 करोड़ रूपये कहाँ गये?
इसके साथ ही पूरे शराब घोटाले में संचालन का प्रमुख व्यक्ति अनवर ढेबर कौन है? उसे किस राजनेता से संरक्षण प्राप्त है, जिसके बल पर अनवर ढेबर ने पूरे शराब घोटाले को अंजाम दिया है?
मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूँ कि इस पूरे शराब माफिया में अनिल टुटेजा जो कि शासन के अधीन एक IAS अधिकारी हैं उनकी क्या भूमिका रही है? सुप्रीम कोर्ट ने शराब मामले में ईडी से कहा कि ईडी के पास तीन याचिकाकर्ताओं यश टुटेजा), करिश्मा ढेबर और सिद्धार्थ सिंघानिया (के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रोडिकेट ऑफेंस नहीं है इसलिए ईडी को इस मामले पर कोई कार्यवाही कुछ समय तक नहीं करने का निर्देश दिया है। प्रिडिकेट ऑफेंस या विधिक अपराध का
मतलब ये है कि ईडी किसी मामले का स्वत संज्ञान नहीं ले सकती, उसे कार्यवाही के लिए एफआईआर या किसी परिवाद की जरूरत होती है। यह अंतरिम राहत पूर्णतः तकनीकी दृष्टि से दिया गया है, हमारे कुछ मित्र इस निर्णय से खुश होकर पटाखे फोड़ रहे हैं तो मैं उनसे कहूंगा कि यह राहत ईडी द्वारा की गई अन्य कार्यवाही के लिए नहीं है। यह सरकार भ्रष्टाचार में इतनी ज्यादा लिप्त है कि उसने और फिर ईडी की कार्यवाही के बाद भी अपने से जुड़े . तीन साल पहले आई एस 3 अधिकारियों, नेताओं और व्यापारियों को बचाने के लिए न कोई कार्यवाही की और न ही EOW को जांच के लिए निर्देशित किया। EOW जांच करती तो उसे पहले FIR करना पड़ता जिससे आज ईडी को प्रिडिकेट ऑफेंस को दिक्कत नहीं आती। ईडी कभी भी भ्रष्टाचार की जांच नहीं करती वह सिर्फ PMLA के तहत मानी लांड्रिंग की जांच करती है। भ्रष्टाचार की जांच प्रदेश में EOW एवं राष्ट्रीय स्तर में CBI करती है। ऐसा नहीं है कि आईटी विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार को अपराधियों के खिलाफ जांच के लिए नहीं कहा गया बल्कि आईटी विभाग ने मुख्य सचिव को वर्ष पहले 3पत्र लिखकर निर्देशित किया था कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार भ्रष्टाचार की जांच करें लेकिन भूपेश सरकार ने सारे दस्तावेज एवं प्रमाण होने के बाद भी PREVENTION OF CORRUPTION एक्ट के तहत कोई कार्यवाही नहीं की।

कोयला घोटाला :
हमारी छत्तीसगढ़ महतारी ने प्रदेश को संसाधन संपूर्ण बनाया है। यह संसाधन न सिर्फ प्रदेश को 15 साल विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में सहयोगी रहे बल्कि इन संसाधनों से हमनें रोटी, रोजगार और आत्मनिर्भरता भी हासिल की है। लेकिन ऐसे ही प्राकृतिक संसाधन कोयले को भी मुख्यमंत्री जी की नजर लग गई और कोयला भी भ्रष्टाचार की चपेट से दूर न रह सका,आज पूरा देश डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है तब कोयले के मामले मे पारदर्शिता रखने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने D.O. (डिस्पैच आर्डर) को ऑनलाइन. एक पारदर्शी सिस्टम बनाया था जिससे कोयले के खनन और परिवहन पर नजर रखी जा सके लेकिन मुख्यमंत्री जी ने अपने भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर वापिस 2003 के दौर में लौटने का निर्णय लिया और इस पारदर्शी व्यवस्था को ऑफलाइन में बदलकर कोयले में 25रु. प्रतिटन की अवैध वसूली शुरू कर दी जिससे 540 करोड़ का कोयला घोटाला हुआ।
इस पूरे घोटाले का मूल ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन सिस्टम में बदलना था और खनिज विभाग के जिस डायरेक्टर ने इस नीतिगत निर्णय को बदलने का काम किया आज वो 7 महीनों से जेल में बंद है।
भाजपा ने भी 15 सालों तक प्रदेश में सरकार चलाई है और हमारा यह पूरा प्रयास रहा कि हम किस तरह छत्तीसगढ़ के राजस्व में वृद्धि कर सकें, इसके लिए हमनें डेढ़ दशक तक योजनाएँ बनाई लेकिन आज छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसी सरकार है जो राजस्व को बढ़ाने की जगह उसमें सेंध लगाने का काम कर रही है।
गौठान घोटाला:
आज गौठान केवल कांग्रेसियों के भ्रष्टाचार का एक माध्यम बन चुका है, प्रत्येक गौठान में हर माह गौ-वंश के संरक्षण के नाम पर लाखों रूपये शासन की तिजोरी से निकालकर कांग्रेसियों की झोली में डाले जा रहे हैं। घोटाले बिना रोक-टोक के जारी रहे इसलिएनियमानुसार गौठान समिति का चुनाव भी नहीं कराया गया है। बड़ी संख्या में इसमें सत्ता के करीबियों ने बिना चुनाव के ही कब्जा कर लिया है। भारत सरकार ने मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, 14वें वित्त, 15वें वित्त, LWG, रूर्बन, डीएमएफ जैसे मदों में राशि भेजी है। उन पैसों को भी डायवर्ट कर गौठान के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया गया। इस सरकार ने गौठान के नाम 1300 करोड़ रूपए का गौठान घोटाला किया। प्रदेश के किसी गौठान में न चारा है, न पानी है, न बाउंड्री वॉल है, कोई सुविधा नहीं है ये सारे पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
इसके अलावा हालही में इस सरकार के गोबर खरीदी में भी 229 करोड़ रूपए का घोटाला सामने आया है, ₹246 करोड़ की गोबर खरीदी हुई है और 17 करोड़ रुपये का गोबर पदार्थ बेचा गया, तो बचा हुआ 229 करोड़ रुपये का गोबर कहां है?
पूरा ‘गोबर घोटाला’ कागज़ पर किया गया फर्जीवाड़ा है। उदाहरण के लिये यहां तीन ऐसी महिलाओं से 282,000 किलो गोबर खरीदा गया जो एक ही परिवार से हैं और उनके पास गाय ही नहीं है! और तो और उन्हें ₹565,000 का भुगतान भी किया जा चुका है। अब आप समझ सक हैं, सरकार ने कैसे गोबर ख़रीद के नाम पर घोटाला किया है।

पीडीएस घोटाला:
कांग्रेस के भ्रष्टाचार ने पीडीएस योजना को भी नहीं छोड़ा। खाद्य विभाग के डेटाबेस में 1 लाख 65 हजार मीट्रिक टन चावल दर्ज है, जबकि जिलों में दर्ज बचत के डेटाबेस में यही चावल मात्र 96 हजार 80 मीट्रिक टन पहुंचा है। दोनों ही सरकारी आंकड़ों के बीच में 68 हजार 900 मीट्रिक टन चावल का अंतर है तो यह चावल आखिर कहाँ गया? जब भाजपा की सरकार थी तब हमनें ऐसा कानून बनाया था, जिससे इस प्रकार की गड़बड़ी पर लगाम लगाई जा सके, हमारी सरकार में इस परिस्थिति के लिए ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि जो भी बचा हुआ राशन होगा उसका स्टॉक वेरिफिकेशन होता था और अगले महीने में खाद्य विभाग एक पत्र जारी करता था जिसमें राशन का विवरण होता था कि उक्त दुकान में कितना राशन शेष है। पत्र जारी होने के बाद यह पत्र खाद्य निरीक्षक के पास जाता था और खाद्य निरीक्षक इस पत्र को वेबसाइट पर अपलोड करता था फिर नान के माध्यम से संबंधित दुकान को राशन आवंटन किया जाता था। यह पारदर्शिता और साफ़ नीति भाजपा के शासन में धरातल पर थी लेकिन कांग्रेसी कुशासन में आज हालत यह है कि डेटाबेस में गड़बड़ी कर लगभग 600 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया गया और गरीबों की थाली से निवाला छीन लिया गया है। जब सरकार खुद चावल, नमक, शक्कर चोरी करके खाएगी तब जनता उन पर कैसे विश्वास करेगी?

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में भ्रष्टाचार-
जब पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में था और लोग परेशान थे तब केंद्र की मोदी सरकार ने देश के करोड़ गरीब परिवार के लिए 80 किलो अतिरिक्त 5 प्रति माह मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की थी।

लेकिन आपदा के ऐसे कठिन दौर में भी कांग्रेस की सरकार ने भ्रष्टाचार का अवसर देखा और गरीबों की थाली से निवाला छीनने का काम किया है।

केंद्र सरकार की ओर से आने वाले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के 50 करोड़ 1 क्विंटल 800 हजार 80 लाख चावल जिसकी कीमत 5000 करोड़ से अधिक है वो इस भ्रष्टाचारी सरकार की भेंट चढ़ चुका है।

सीजीपीएससी घोटाला :
अभी तक मैंने जो 4 बड़े घोटाले इस कांग्रेसी शासन के बताए हैं उनसे प्रदेश को कभी आर्थिक घाटा हुआ, कभी पारदर्शिता पर संकट आया और कभी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला लेकिन इन सबसे अलग इस कांग्रेसी कुशासन में एक ऐसा भ्रष्टाचार भी है जिसने प्रदेश के भविष्य को अंधेरे में ढकेल दिया है। पैसों की उगाही के बाद कांग्रेस ने जनता के विश्वास की संस्थाओं को भी बर्बाद कर दिया है। यह लोक सेवा आयोग में भर्ती का छत्तीसगढ़ में पहला और सबसे भयानक घोटाला है।
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जब परिणाम आए हम सभी ने देखा कि अधिकारियों, कांग्रेसी नेताओं और व्यापारियों के लगभग 20 बच्चे और उनके रिश्तेदारों के नाम सामने थे, इसमें पीएससी चेयरमैन टामन सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी का उपनाम हटाकर उन्हें चयनित किया गया। कांग्रेस नेता सुधीर कटियार की बेटी भूमिका और दामाद शशांक गोयल भी टॉप 15 में आए हैं। बिल्हा के विधानसभा प्रत्याशी रहे कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे स्वर्णिम शुक्ला ने 16वां रैंक हासिल किया। एक ही परीक्षा में एक ही पद पर कांग्रेसी नेताओं और अधिकारियों के बच्चों का चयन होना यह स्पष्ट दर्शाता है कि हम बार
लोकसेवा आयोग की परीक्षा में बड़ी धांधली हुई है। जिसे लेकर प्रदेशभर के युवाओं ने इस सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन भी किया और नए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग में चयन करने के लिए लाखों रूपए की अवैध राशि वसूल कर प्रदेश के काबिल युवाओं का हक़ मारा गया है। इस सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं तक को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है, इस सरकार पर तो लोगों को कोई भरोसा रहा नहीं है लेकिन संवैधानिक संस्थाओं पर युवाओं का जो विश्वास था वह पीएससी के नतीजों के बाद अब टूट चुका है, जब सीजीपीएससी जैसे संस्थान में भ्रष्टाचार होगा तो युवा कहां जायेंगे, किस पर विश्वास करेंगे, युवाओं के भविष्य का क्या होगा?

रेत माफिया:
छत्तीसगढ़ में रेत माफिया खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इस सरकार का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। जिस अरपा और पैरी नदी का सम्मान करते हुए उनका नाम राजकीय गीत में लिखा गया है उनके सीने में खंजर घोंपने का काम यह सरकार कर रही है, नदियों की धार बदलने का काम यह सरकार कर रही है। हाल ही में पिछले दिनों बिलासपुर में अरपा नदी में रेत उत्खनन से बने गड्ढों के कारण नदी में नहाने गई तीन बच्चियों की मौत हो गई। इसके अलावा पिछले दिनों राजनांदगाँव में रेत माफियाओं ने एक महिला की लाश तक निकाल डाली इस हद तक रेत माफिया सक्रीय हैं।


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