साहित्यकार ,कवि, समाजसेवी रामप्यारे रसिक आज पंचतत्व में विलीन हो गये
साहित्यकार ,कवि, समाजसेवी रामप्यारे रसिक आज पंचतत्व में विलीन हो गये इनकी दुःखद समाचार प्राप्त होते ही मन विचलित सा हो गया उनकी अब यादे व उनके साहित्य ,समाज को जागृत करने के लिये किये गये कार्यो को हमेशा ही आत्मसात किया जाएगा । आज आप अजय अमर हो गये, आपने जो साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी, उसे हरेक साहित्यकार एक प्रेरणा लेकर हमेशा ही याद करते रहेगा ।अभी कुछ ही दिनों पूर्व इन्हें सरगुजिहा रामायण पर छतीसगढ़ सरकार के द्वारा इन्हें अभी सम्मानित भी किया गया था ।
अम्बिकापुर । रामकथा के प्रचार प्रसार के लिए संकल्पित छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति एवं राजभाषा विभाग द्वारा राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता के समापन अवसर पर दिनांक 29 मई 2023 को सरगुजा के वरिष्ठ साहित्यकार रामप्यारे रसिक को उनकी सरगुजिहा में लिखी गई पुस्तक सरगुजिहा रामायण के लिए सम्मानित किया गया । यह सम्मान रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में रामप्यारे रसिक की ओर से उनके पुत्र प्रकाश कुमार कश्यप ने खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के कर कमलों से ग्रहण किया था । सरगुजिहा रामायण की रचना रामप्यारे रसिक द्वारा सन 1976 में की गई है जिसमें रामायण के विविध प्रसंगों को सरगुजिया बोली में रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। सरगुजा के ग्रमीण मानस मण्डली में गाये जाने वाले इस सरगुजिहा रामायण को आकाशवाणी अंबिकापुर द्वारा धारावाहिक के रूप में प्रसारित करने के साथ ही सरगुजा के संगीतकारों ने ऑडियो कैसेट तैयार कर प्रचारित किया है ।
साहित्यकार रामप्यारे रसिक के सम्बंध में जितना भी लिखा जाये वह कम ही रहेगा
सरगुजा के लोगों को जागरूक करने वाले कलमवीर, साहित्यकार रामप्यारे रसिक ने अनेको पुस्तको का प्रकाशन भी किया है जिसमे श्वेताम्बर भजन, सरगुजिहा रामायण सरगुजिया छत्तीसगढ़ी में, पलकों में समंदर हिंदी गीत, सलमा के बेटे हिंदी कहानियां ,पूजा के फूल भजन ,हमारी धरोहर का संग्रह लोक कथाएं सरगुजा किस्से कहानियां, दर्दो का काफिला गजलें हैं, अक्षर गीत साक्षरता गीत, माटी के गीत सरगुजिया गीत है ,सतरंगी करौंदा सरगुजिया गीत है , बांधले पिरितिया के डोर भोजपुरी गीत है, कलम ए रसिक ग़ज़ल गीत है, जंगली प्रजातंत्र हास्य व्यंग लघु कथाएं का संग्रह इनके पास है । यही नहीं साहित्यकार पर लघु शोध वर्ष 1987-88 सरगुजा समाचार सप्ताहिक का संपादक 1983 से, एप्रव्हड़ गीतकार आकाशवाणी अंबिकापुर, प्रदेश जिला एवं स्थानीय स्तर पर विभिन्न साहित्यिक समारोह में सम्मानित छत्तीसगढ़ शासन ने प्राइमरी स्कूल कक्षा पांचवी में साहित्यकार की कृति रसिक के दोहे का समावेश भी किया गया है । एक समय था जब हमें इनके सप्ताहिक सरगुजा समाचार में नियमित स्तंभ नगर कल्लोल, आजाद कलम ,हालाते शहर और सच्चाई के आईने में अत्यंत लोकप्रिय स्तम्भ रहा जिसे शहर के लोग खोजकर हमेशा ही पढ़ते रहे हैं । हास्य व्यंग्य : जंगली प्रजातन्त्र भी इनकी यादगार कृति है ।