एरियर्स का भुगतान और कटौती भी शुरू कोयला मैनेजमेंट का दोहरा खेल

मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। कोयला मजदूरों का पहला वेतन समझौता 1.1.1975 से ज़ारी है। जब भी मजदूरों का वेतन समझौता हुआ तो वित्तीय भार बढ़ा लेकिन पांच सालों मे यह भार हमेशा कोल इंडिया लिमिटेड के लिये फ़ायदे का सौदा सिद्ध हुआ है। अख़्तर जावेद उस्मानी सदस्य त्रिपक्षीय सुरक्षा समिति कोल इंडिया लिमिटेड ने 11 वेतन समझौतों के इतिहास को रेखांकित करते हुये बताया कि हर समझौते के बाद वित्तीय भार की परिपूर्ति सदैव उत्पादन को बढ़ा कर की गई है चाहे वो अधिकारियों का वेतन समझौता जो पहले पांच वर्ष का था और 1.1.1997 से 10 वर्ष की अवधि का अधिकारीयों की सहमति से हुआ था चाहे केन्द्रीय वेतन आयोग से शासित कर्मचारियों का या वेज बोर्ड कर्मचारियों का हो।
कोल इंडिया लिमिटेड का सकल लाभ लाभ पब्लिक डोमेन मे है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 मे ही कोल इंडिया लिमिटेड ने 11 वां वेतन समझौता संपन्न किया, 703.2 मिलियन टन कोयले का रिकार्ड उत्पादन किया, आपरेटिंग
प्रॉफिट मार्जिन 24.08% एंव नेट प्रॉफिट मार्जिन 22.04% प्राप्त किया। इस वर्ष और अधिक उत्पादन और अधिक लाभ कमाने के प्रयास ज़ारी हैं।
परंतु अचानक एक जेन – नेक्स्ट थ्योरी आई कि एरियर्स के बोझ को कम करना है। अख़्तर जावेद उस्मानी ने मजदूरों अधिकारियों बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स के वेतन मे बढ़ोत्तरी को बोझ की संज्ञा देने और उनकी सुविधाओं का उनके लाभ मे कटौती कर करने के प्रयासों की भर्त्सना करते हुये कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा आज जो कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन हैं या एस ई सी एल, एम सी एल, डब्लू सी एल आदि सब्सिडरियों के सीएमडी हैं उन्होंने भी सभी संवर्गों के कर्मचारियों के अनेकानेक वेतन समझौतें देखें हैं परन्तु कटौती कर समझौता कर वापस लेने का यह प्रयास पहली बार देखा होगा। हर साल 12 हज़ार मजदूर रिटायर होंगें उन्हें कोई बढ़ा वेतन नही देना पड़ेगा। अगले वेजेज़ बोर्ड तक एक बिलियन टन के लक्ष्य तक भी यही मजदूर आपके साथ होंगें। अचानक बजटेड ओटी और सन्डे की बिना चर्चा के एक तरफ़ा कटौती खदानों के उत्पादन कार्य करते हुये कुछ मजदूरों को काम पर न देना, महिलाओं कर्मचारियों के साथ भेदभाव अन्याय की पराकाष्ठा है जिसकी अपेक्षा इस अनुभवी प्रबंधन से नहीं हैं।
ऐसे मे हिन्द मजदूर सभा चेयरमैन कोल इंडिया लिमिटेड से यह अपेक्षा करती है कि इस तरह के कटौती निर्देशों को तत्काल स्थगित कर श्रम संघों से चर्चा कर निर्णय लेंगे।
अख़्तर जावेद उस्मानी ने यह बयान ज़ारी करते हुये सभी श्रम संघों से भी अपील की है कि वेज बोर्ड के लाभो को छीनने के प्रयासों के विरुद्ध भी एक जुट होकर रोकने का प्रयास प्रारम्भ करें।