छत्तीसगढ़

दुर्लभ प्रजाति पेंगलीन की होती है तस्करी, घर मे घुसा, गामीण दहशत में

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धमतरी। घर में घुसा दुर्लभ पेंगलीन, पेंगलिन को कमरे में देख दहस्त में ग्रामीण आ गये थे, ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी, वन विभाग ने रेस्क्यू कर पकड़ा , यह घटना बिरगुड़ी वन परिक्षेत्र अंतर्गत भीतररास सिहावा गांव के एक घर में छुपा था पेंगलीन, वन विभाग ने सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सुरक्षित छोड़ा,दुर्लभ प्रजाति पेंगलीन को इसकी होती है तस्करी,इसकी शल्क की जाती है तस्करी आखिर इसके बारे में जाने – पैंगोलिन, वज्रशल्क या पंगोलीन (pangolin) फोलिडोटा गण का एक स्तनधारी प्राणी है। इसके शरीर पर केराटिन के बने शल्क (स्केल) नुमा संरचना होती है जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है। यह अफ़्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं। इनके निवास वाले वन शीघ्रता से काटे जा रहे हैं और अंधविश्वासी प्रथाओं के कारण इनका अक्सर शिकार भी करा जाता है, जिसकी वजह से पैंगोलिन की सभी जातिया अब संकटग्रस्त मानी जाती हैं और उन सब पर विलुप्ति का ख़तरा मंडरा रहा है।

हर साल हजारों पैंगोलिन का अवैध शिकार किया जाता है, पारंपरिक चीनी चिकित्सा में उपयोग के लिए उनके शल्कों और उनके मांस के लिए उन्हें मार दिया जाता है, जो चीन और वियतनाम में कुछ अति-अमीर लोगों के बीच एक स्वादिष्ट व्यंजन है।
Pangolin, to Mammle Hai, ek सस्तन प्राणी apney Gaai, Cow ke jaisa. पैंगोलिन क्यों महत्वपूर्ण हैं?
•पैंगोलिन को अक्सर ‘जंगल के संरक्षक’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करते हैं।

•पैंगोलिन के दीमकों का आहार जंगल को कीटों के संक्रमण और विनाश से बचाने में मदद करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि एक वर्ष में, एक पैंगोलिन 70 मिलियन से अधिक चींटियाँ/दीमकों को खा सकता है।


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