छत्तीसगढ़

नागपुर हॉल्ट- चिरमिरी नई रेल लाइन की छ.ग. शासन की अंश राशि शीघ्र स्वीकृति हेतु मुख्यमंत्री से अनुरोध

(संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान द्वारा पत्र )

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मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। ब्रिटिश काल में द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व स्वीकृत चिरमिरी- बरवाडीह रेल लाइन का एक हिस्सा नागपुर हॉल्ट- चिरमिरी नई रेल लाइन काफी प्रयासों के बाद 2018 में स्वीकृत होने के बाद भी सत्ता परिवर्तन की भेंट चढ़ गया.  संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान के अध्यक्ष अनिल जैन द्वारा मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि  संबोधन संस्था द्वारा विगत 13 वर्षों से रेल परियोजना से जुड़े पदाधिकारियों  से लगातार 40 पत्रों के पत्राचार के बाद  काफी कठिन प्रयासों से इस रेल लाइन को स्वीकृति मिल पाई है.  किन्तु  अब तक रेल निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाना,  अंचल के निवासियों को  चिंतित कर रहा है.  इस रेल लाइन के प्रारंभ नहीं होने से इस अंचल के ऐसे 2 लाख निवासी प्रभावित हो रहे हैं. जिन्होंने अपने परिश्रम से इस देश के विकास में आवश्यक रेल पहियों को चलने के लिए सन्  1928 से  अपनी जमीन से निकालकर कोयला दिया था.
वर्तमान में रेल मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 17 कि. मी. की यह नई रेल लाईन  पिछली सरकार द्वारा रेल् मंत्रालय एवं  छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा किए गए एम ओ यू के आधार पर कुल लगभग 241 करोड़ लागत की 50% राशि अर्थात लगभग 121 करोड़ छ.ग. द्वारा रेलवे को  नहीं देने के कारण अब तक इस रेल लाइन का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है.  संबोधन संस्था के द्वारा इस रेल लाईन की स्थिति हेतु लगातार पत्राचार  किए जा रहे प्रयास के अंतर्गत  रेल निर्माण विभाग द्वारा स्पष्ट लिखा है कि इस विशेष  रेल लाइन सेवा  को राज्य शासन की राशि नहीं मिलने के कारण स्थगित कर दिया गया है जो शासन द्वारा राशि देने की तिथि घोषित होने पर प्राथमिकता के तौर पर पुनः प्रारंभ कर दी जाएगी. माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है की शीघ्र उक्त छत्तीसगढ़ शासन की  अंश राशि लगभग 21 121 करोड़ शीघ्र आवंटित करने का कष्ट करें ताकि इसका निर्माण प्राथमिकता के तौर पर रेल मंत्रालय के द्वारा प्रारंभ किया जा सके. इस संबंध में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री एवं अंचल के विधायक माननीय श्याम बिहारी जायसवाल जी ने भी इस रेल लाइन के अंश राशि देने हेतु आपसे अनुरोध किया है.
संबोधन विचार मंच के विभागाध्यक्ष बीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया की एक लंबे समय से इस इस रेल लाइन की स्वीकृति रिटर्न आफ रेव्न्यू (ROR) राजस्व की वापसी 08 से कम होने के कारण बिना राज्य सरकार के सहयोग के बिना इस रेल लाइन का बनना संभव नहीं था.  संस्था द्वारा  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को प्रेषित पत्र द्वारा जुलाई 2018 में इस रेल लाइन की आवश्यकता एवं महत्व की चिंता से अवगत कराया गया था. इस चिंता को गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए  केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा निर्माण खर्च के आधी आधी राशि सहयोग के आधार पर इस नई रेल लाइन को स्वीकृति प्रदान की गई, जो अब तक प्रारंभ हो जानी चाहिए थी, किंतु विकास के लिए हजारों करोड़ का बजट बनाने वाली पिछली सरकार ने मात्र 121 करोड़ के लिए इस  अंचल के रेल विकास को रोक दिया. यह रेल लाइन लाइन भविष्य में जुड़ने वाली चिरमिरी-  बरवाडीह  रेल लाइन से जुड़कर मुंबई एवं कोलकाता महानगरों को जोड़ने वाली 400 किलोमीटर सबसे छोटी रेल लाइन होगी, जिसका फायदा इस अंचल को मिलेगा एवं छत्तीसगढ़ के इस आदिवासी मध्य भाग के व्यापार की संभावनाएं बढ़ेगी. जो नए रोजगारों को भी बढ़ावा देगी. रेलवे इंजीनियर के द्वारा सर्वे के दौरान व्यक्त विचारों में उन्होंने अंचल के विकास में इस रेल लाइन के योगदान को इस अंचल के विकास की भावी जीवन रेखा कहा है. संबोधन संस्था ने अपने पत्र में  विश्वास व्यक्त किया है कि आदिवासी अंचल के विकास हेतु प्रतिबद्ध  मुख्यमंत्री  द्वारा इस नई रेल लाइन  हेतु लगभग 121 करोड़ की राशि स्वीकृत कर  नए रेल लाइन निर्माण को गति प्रदान करेंगे  संस्था का यह भी मानना है की नई रेल लाइन निर्माण रुक जाने का  यह संवेदनात्मक पहलू अब जन जन तक फैल चुका है, जिससे अंचल के  निवासी  दुखित है और इसका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है आज जब मनेन्द्रगढ़ एवं चिरमिरी अंचल को आर्थिक संबल देने वाली संपत्ति कोयला समाप्ति के कगार पर है. ऐसे समय में इस अंचल के निवासियों को स्थायित्व एवं पुनर्जीर्वन देने हेतु यह रेल सुविधा  भावी जीवन रेखा साबित होगी और रेल विकास तथा रोजगार  के नए द्वार  खोलेगी.


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