भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं-बलवीर कौर
मनेद्रगढ़।एमसीबी। भगत सिंह ,जैसे क्रांतिकारी, सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं। ऐसे महान क्रांतिकारियों के कारण ही भारत की भूमि को अनमोल रत्न की भूमि कहा जाता है ।भारत की इस भूमि पर कई वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पैदा हुए उनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह का नाम इतिहास में अजर अमर है। उक्ताशय के विचार शहीद- ए -आजम सरदार भगत सिंह की 116 वीं जयंती के अवसर पर पतंजलि योग समिति द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में महिला पतंजलि योग समिति की जिला प्रभारी एवं वरिष्ठ योग प्रशिक्षिका बलवीर कौर ने व्यक्त किया ।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन के जिला प्रभारी एवं सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ संदीप चंदेल, पतंजलि योग समिति के जिला अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, वरिष्ठ योग साधक एवं समाजसेवी कैलाश दुबे, शा हायर सेकंडरी विद्यालय बेलबहरा की वरिष्ठ व्याख्याता सुनीता मिश्रा , सिंध समाज की सक्रिय महिला प्रतिनिधि एवं पतंजलि योग समिति मनेंद्रगढ़ की वरिष्ठ योग साधिका हर्षलता खियानी, शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ वरिष्ठ व्याख्याता एवं योग साधिका नीलम दुबे ने भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से सदन को अवगत कराया।
क्रांतिकारी पुरुष भगत सिंह की विचार श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए बलवीर कौर ने कहा कि-भगत सिंह वीर सावरकर के विचारों से भी प्रेरित थे, उनके संबंध में यह अद्भुत बात है कि भगत सिंह जलियांवाला बाग की मिट्टी को हाथ में लेकर 12 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के अंत करने की सौगंध खाई थी ,आज देश के करोड़ों युवा,शहीद- ए- आजम भगत सिंह को अपना आदर्श मानकर देश प्रेम की भावनाओं से जुड़े हुए हैं। भगत सिंह के जीवन, एवं उनके व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए हर्षलता ने कहा कि- उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया था,भगत सिंह के जीवन से हमें देश के प्रति जज्बा,रखने एवं राष्ट्र की मजबूती के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए। हिंदी साहित्य की वरिष्ठ व्याख्याता नीलम दुबे ने स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि भगत सिंह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी दल में काम करने लगे थे उन्होंने असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी का समर्थन किया और जलियांवाला बाग हत्याकांड और ननकाना साहिब में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा से क्षुब्ध होकर भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए 1926 में “नौजवान भारत सभा” की स्थापना की। वह महज 23 वर्ष की उम्र में देश की आजादी का सपना दिल में बसा कर मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे में झूल गए थे। सुनीता मिश्रा ने भगत सिंह के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए,शहादत एवं जुर्म के खिलाफ प्रेरित करने वाली विख्यात पंक्तियों का उल्लेख किया- सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है ,देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। भगत सिंह के शौर्य और पराक्रम का उल्लेख करते हुए सुनीता मिश्रा ने कहा कि भगत सिंह के सीने में भी एक धड़कता हुआ दिल था ,यह वह जानते थे की आजादी की राह में किसी भी दिन कोई उड़ती हुई गोली उनके दिल को धड़कने में एतराज कर सकती है ।मिट्टी में बंदूके बोने वाले भगत सिंह ने कभी मोहब्बत का पौधा अपने दिल की जमीन पर पनपने नहीं दिया। कार्यक्रम के संयोजक सतीश उपाध्याय ने भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से उपस्थित सदन को अवगत कराते हुए कहा कि- महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी भगत सिंह जो 23 वर्ष का यह नौजवान थे अंग्रेज हुकूमत से लोहा लेते रहे, आज पूरा हिंदुस्तान शहीदे -ए-आजम भगत सिंह को आजादी के दीवाने के रूप में देखता है जिनका पूरा व्यक्तित्व ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह पैदा कर देता है। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ संदीप चंदेल, एवं वरिष्ठ योग साधक कैलाश दुबे ने भी भगत सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर पतंजलि योग समिति द्वारा आयोजित सरदार भगत सिंह श्रद्धांजलि समारोह में मीना बंसल, विवेक तिवारी ,मीना सिंह प्रतिभा सोलोमन ,पिंकी सलूजा, कविता मंगतानी ,बबली सिंह राकेश अग्रवाल ,आदि उपस्थित थे ।कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी सतीश उपाध्याय ने किया।