दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा जोड़ने हेतु सामर्थ्यवान बना रहे हैं,ऐसे शिक्षकों के प्रति समाज को कृतध्न होना चाहिए – चन्द कांत चावड़ा
मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। नेत्रहीन विद्यालय में 62 वां शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। 05 सितम्बर 1888 को डॉ सर्व पल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था वो एक शिक्षक थे। वे भारत के उपराष्ट्रपति रहे उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए इसलिए हम सभी भारतवासी उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर संस्था सदस्य चन्द कांत चावड़ा, प्राचार्य संतोष चढ़ोकर, शिक्षकगण राकेश गुप्ता, गोपाल तिवारी, रामनाथ रहड़वे, संतोष पांडेय, रामनारायण कश्यप, आरती पांडेय, ताकेश्वर यादव, प्रतीक, सुरेश, गीता, बबली, कविता, मालिक राम, राहुल आदि उपस्थित रहे।
शिक्षक दिवस पर आज विद्यालय के संचालन का कार्यभार छात्रों के द्वारा कार्यरत कर्मचारियों का अभिनय कर किया जिनमें प्राचार्य का अभिनय छात्र आयुष कुमार ने व अन्य शिक्षकों, कर्मचारियों का अभिनय भी छात्रों के द्वारा किया गया। संस्था में आज छात्रों के द्वारा सफाई, शिक्षण व अन्य सभी व्यवस्था का संचालन किया गया। आज के कार्यक्रम का संचालन भी छात्र परमेश्वर साहू ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम मां सरस्वती का पूजन व वंदना के साथ की गई । ततपश्चात अतिथियों स्वागत गीत- आयुष कुमार व साथी “आज हमारा अहोभाग्य भाग्य है आए मान महान” एवं गुरु वंदना “गुरु तेरे चरण कमल बलिहारी” प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में छात्र सुरेश कुमार के द्वारा कबीर के दोहे का पाठ किया, छात्र सागर व सोनू राठौर भाइयों के द्वारा “पिंजड़े के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय” प्रस्तुत कर मनमोह लिया। बीए अंतिम वर्ष के छात्र राय सिंह ने गुरुमहिमा गाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। छात्र प्रदीप एक्का व रोशन एक्का ने गजल सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्र संतोष कुमार एक्का ने एक नेत्रहीन बूढ़ी माँ की मार्मिक कहानी सुनाकर भावविभोर कर दिया। संस्था की एकमात्र छात्रा कौशिल्या सिंह ने चुटकुला सुनाकर सभी को लोटपोट कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चन्द्र कांत चावड़ा ने कहा कि आज इस संस्था के शिक्षक इतने कम संसाधन व मानदेय में भी अपनी पूरी क्षमता, बुद्धिमता व संकल्प के साथ संस्था के दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा जोड़ने हेतु सामर्थ्यवान बना रहे हैं जिनके प्रति स समाज को कृतध्न होना चाहिए। सभी को इन शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए। संस्था प्राचार्य ने कहा कि आज हम जिन वैज्ञानिकों के कारण चांद पर पहुँच गए हैं वे सभी वैज्ञानिक भी किसी न किसी शिक्षक के कारण ही शिक्षित हो इस लक्ष्य में सफल हुए हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी शिक्षकों को संस्था व छात्रों द्वारा सम्मानित किया व सभी को मिष्ठान वितरण किया।