कभी तिनके,कभी पत्ते, कभी खुशबु उड़ा लाई… हमारे घर तो आंधी भी कभी तन्हा नहीं आई…
वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे
रेल हादस का कारण तो दिखाई देता है,लेकिन हिस्सेदारी लेने के युग में…ज़िम्मेदारी कौन लेगा?रोजगार भी नहीं देना है,किराया भी बढा देना है,बुजुर्गोँ को किराये में छूट की सब्सिडी भीखा जानी है,सुविधा के नाम पर शुल्क लेना है,बजट भी अलग से नहीं देना है,निजीकरण भी करना है,फोटो भी लगानी है,प्रचार भी करना है पर इन सबके बीच जिम्मेदारी नहीं लेना है…? मोदी युग में रेल जनता की सुविधा के लिये नहीं मुनाफा कमाने के नाम पर संचालित हो रही है?वो दौर और था ज़ब रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री,नीतीश कुमार, ममता बैनर्जी से लेकर सुरेश प्रभु तक रेल हादसों पर इस्तीफे की पेशकस करते थे पर अब समय बदल गया है,वैसे अश्वनी वैष्णव क्यों इस्तीफा दें…? नई रेलों को हरी झंडी तो वो नहीं कोई और दिखता है…?बीते 15 साल में भारतीय रेल में 10 रेल मंत्री बदल गए,लेकिन रेलवे में हादसों की तस्वीर नहीं बदली है।रेल मंत्री से लेकर अधिकारी तक हमेशा हादसों को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। पिछले दो दशकों से रेलवे में हादसों को रोकने के लिए कई तकनीक पर विचार ज़रूर हुआ है, लेकिन आज भी एक ऐसी तकनीक का इंतज़ार है जो रेलवे की तस्वीर बदल सके।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पिछले साल यानि मार्च 2022 में सिकंदराबाद के पास ‘कवच’ के ट्रायल में ख़ुद शरीक हुए थे।उस वक़्त यह दावा किया गया था कि कवच भारतीय रेल में हादसों को रोकने की सस्ती और बेहतर तकनीक है।रेल मंत्री ने ख़ुद ट्रेन के इंजन में सवार होकर इसके ट्रायल के वीडियो बनवाए थे।’कवच’ स्वदेशी तकनीक हैऔर दावा किया गया था कि इस तकनीक को भारतीय रेल के सभी व्यस्त रूट पर लगाया जाएगा, ताकि रेल हादसों को रोका जा सके,लेकिन इन तमाम दावों के बाद भी रेल हादसों पर रोक नहीं लग पा रही है। यही नहीं रेलमंत्री के दावे के बावजूद ओडिशा में भारतीय रेल के इतिहास के बड़े हादसों में से एक हादसा हो गया….?
बड़ा रेल हादसा और
सीबीआई जाँच….?
बालासोर जैसी दुर्घटनाएं क्या एक दो व्यक्तियों की गलती से होती हैं? क्या यह किसी का व्यक्तिगत अपराध है? क्या यह क्राइम जानबूझ कर किया गया? ये सवाल और भी गंभीर हो गए हैं क्योंकि रेलवे बोर्ड ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीऍम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सीबीआई जांच का विरोध किया है। उनके मुताबिक सीबीआई का काम अपराधों की जांच करना है,रेल हादसों की जांच करना नहीं, इसके लिए जरूरी तकनीकी नॉलेज भी सीबीआई के पास नहीं,पीएम मोदी ने दुर्घटनास्थल के दौरे के समय ही घोषणा कर दी थी कि दोषी को कड़ी सजा दी जाएगी। इसका अर्थ है कि सरकार इसे तकनीकी या सिस्टम की नाकामी मानने के बदले इंसानी गलती मान कर चल रही है?निश्चित तौर पर व्यक्ति या व्यक्तियों को दोषी मान लेने के पीछे यह सरकारी मानसिकता काम कर रही है कि रेल की सुरक्षा-व्यवस्था में कोई दोष नहीं है। अगर इसे आंकड़ों और रिपोर्टोँ की नजर से देखें तो साफ हो जाता है कि सुरक्षा तंत्र में सब कुछ ठीक नहीं है। देश में होने वाले खर्चों पर नजर रखने वाली सर्वोच्च संस्था सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) ने ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं पर एक रिपोर्ट छह महीने पहले ही संसद को सौंपी थी। इसमें उसने अप्रैल 2017 से मार्च 2021 के चार सालों की अवधि में हुई दुर्घटनाओं की जांच की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे के सभी 16 जोनों को मिलाकर इन दुर्घटनाओं की संख्या 1129 थीं। इसमें मालगाड़ियां और पैसेंजर दोनों तरह की गाड़ियां शामिल हैं। इन 1129 हादसों में सबसे ज्यादा यानी 422 गाड़ियों के पटरी से उतरने की वजह तकनीकी खराबी थी।
गाड़ी पटरी से उतरने की एक प्रमुख वजह पटरियों की खराब हालत रही है।
अटलजी की सरकार के समय रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार ने इसके लिए एक विशेष सुरक्षा फंड बनाया था।इसके तहत बड़े पैमाने पर पुरानी और जर्जर पटरियों की जगह नई पटरियां लगाने का काम किया गया। इसे मोदी सरकार ने राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष के नए नाम से फिर से चलाया। लेकिन 2018 में इस पर किए गए 9607 करोड़ रुपये के खर्च में दो साल बाद दो हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई।रेल गाड़ियों के टकरा जाने की घटनाओं को रोकने के लिए टकराव प्रतिरोध यंत्रों को लगाने की शुरुआत 2011 मे ही हो गई थी। इसे कोंकण रेलवे के इंजीनियरों ने विकसित किया था। इसे हर रेल नेटवर्क पर लगाने की योजना है। लेकिन काम इतनी धीमी गति से हो रहा है कि इसमें सालों लग जाएंगे…?
श्रीराम तुम कैसे बड़े,तुम
तो मेरे लफड़े में पड़े ..?
भाजपा और श्रीराम एक तरह से पर्याय थे,कभीकभी तो लगता है कि श्रीराम का कापी राईट ही भाजपा ने ले लिया है।पर छ्ग के सीएम भूपेश बघेल ने छ्ग की माता कौशल्या,भांचा राम,राम पथ गमन,गाँवोँ में रामायण मण्डली,राष्ट्रीय रामायण महोत्सव आयोजित करवाकर भाजपा से उनका श्रीराम का कॉपी राइट मुद्दा छीनकर बैचन कर दिया है। वैसे कांग्रेस के नेता छग के प्रसिद्ध कवि,राजनेता स्व. पवन दीवान ने एक बार कुरुद विधानसभा में तब के कांग्रेस प्रत्याशी गुरुमुख सिंह के चुनाव के प्रचार में तत्कालीन राज्यसभा सदस्य अजीत जोगी के सामने एक गांव की सभा में कहा था वह काफी चर्चा में रहा था…?स्व. पवन दीवान ने कहा था कि एक बार नदी को घमंड हो गया कि वह लंबी बहती है इसलिए वह सबसे बड़ी है।तब भगवान शंकर ने कहा कि तुम तो मेरी ‘जटा से निकली’ हो तुम नहीं, मैं बड़ा हूं, तब पहाड़ ने कहा कि शंकरजी आप कैसे बड़े हैं आप तो मेरी खोह में पड़े हैं आपसे बड़ा मैं हूं। तब वहां से निकल रहे हनुमान जी ने कहा कि पहाड़ तू कैसे बड़ा है,तू तो मेरे हांथों में पड़ा,मैं बड़ा हूं,उनकी बात सुन रहे श्रीराम ने कहा कि हनुमान तू कैसे बड़ा,तू तो मेरे चरणों में पड़ा है,सबसे बड़ा मैं…यह बात भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी को तब खल गई उन्होंने कहा कि राम तू कैसे बड़ा… तू तो मेरे लफड़े (श्रीराम मंदिर प्रसंग) में पड़ा…बहरहाल श्रीराम के नाम पर 2 लोकसभा से स्पष्ट बहुमत हासिल कर चुकी केन्द्र में सरकार सुको के फैसले के बाद श्रीराम मंदिर निर्माण की तरफ बढ़ी है। छग में तब के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह गंभीर नेता माने जाते थे वो टीका टिप्पणी करने से बचते थे बल्कि हल्की बात भी नहीं कहते थे पर एक बार विकास यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि दशानन (कांग्रेस) से निपटने एक राम ही काफी है। यानि उन्होंने स्वयं को श्रीराम तथा कांग्रेस को दशानन कहा था,हाल ही में रामायण महोत्सव में कांग्रेस को कालनेमी, राक्षस की उपमा भी दी गईं। छ्ग में आगामी विस चुनाव में श्रीराम मुद्दा बना रहेगा जबकि देश में राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने का प्रयास करेगी।
कुछ आईएएस, आईपीएस
भी मैदान में उतरेंगे….
छ्ग के कुछ बड़े अफसर अब सेवानिवृत होने के बाद आगामी विस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने तैयार हैं,बस टिकट मिलने का इंतजार है। वर्तमान में एक पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी कॉंग्रेस से विधायक हैं तो पिछला चुनाव एक अन्य आईएएस ओम प्रकाश चौधरी हार चुके हैं। इन दोनों के अलावा आगामी चुनाव में पूर्व आईएएस सरजियस मिंज,गणेश शंकर मिश्रा, नीलकंठ टेकाम,आर पी एस त्यागी,, बी पी एस नेताम,वर्तमान में सचिव स्तर के एक अफसर भी सेवानिवृति के बाद अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं। इधर आईजी पद से सेवानिवृत भारत सिंह, यू आर नेताम भी चुनाव समर में उतर सकते हैं।
कलेक्टर घर पहुंचे
राशन कार्ड देने……
एक समय था जब कलेक्टर को ‘लाट साहब’ समझा जाता था,उनसे मुलाक़ात या उनकी एक झलक पाने लोग लालायित रहते थे। पर यह कल्पना अभी छत्तीसगढ़ में कोई नहीं कर सकता था कि कोई कलेक्टर किसी के घर राशन कार्ड स्वयं पहुंचाने पहुँच जाए….. पर एक छत्तीसगढ़िया कलेक्टर ने यह कार्य करके भी दिखा दिया। छ्ग सरकार की मुख्यमंत्री मितान योजना से लोगों को घर बैठे हीअपने जरूरी प्रमाण पत्र और दस्तावेज बनकर मिल रहे हैं।रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र में कबीर चौक निवासी ओमप्रकाश अग्रवाल ने राशन कार्ड बनवाने 14545 पर कॉल कर 5 जून को दस्तावेज दिया और 7 जून को उनका कार्ड तैयार हो गया। जिसे देने कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा खुद मितान बनकर ओमप्रकाश अग्रवाल और श्रीमती सुलोचना देवी के घर पहुंचे और उन्हें उनका राशन कार्ड सौंपा।आपकी सरकार आपके द्वार का यह उदाहरण ही तो है….
और अब बस….
0भाजपा के कौन से विधायक बचपन में रामलीला में रावण बनते थे….?
0 सीएम बघेल की मंशानुसार राष्ट्रीय रामायण महोत्सव आयोजन कराने में रायगढ़ कलेक्टर तारण सिन्हा सफल रहे।
0 कुछ 21आईएएस के बाद 3/4 एसपी की एक छोटी तबादला सूची भी आने की चर्चा है।
0छ्ग में मानसून 21 जून तक आने की संभावना है?
0विमान में दिल्ली से लंदन का टिकट 33हजार और दिल्ली से भुवनेश्वर का किराया 56 हजार…(आपदा में अवसर..?)