राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों के योगदान को सर्वोपरि बताया शिक्षकों ने
शिक्षक दिवस पर विशेष
मनेद्रगढ़।एमसीबी। प्रतिवर्ष देश में 5 सितंबर को शिक्षकों के कार्य को सम्मान देने के लिए “शिक्षक दिवस ‘का आयोजन किया जाता है । शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में , त्याग एवं समर्पण के साथ अपने अध्यापन के दायित्व का बखूबी निर्वहन करने वाले शिक्षकों ने विचार व्यक्त किया । एमसी बी के पूर्व शिक्षक एवं पर्यावरणविद् सतीश उपाध्याय एमसीबी जिले के ऐसे प्रथम शिक्षक रहे हैं जिन्होंने, अध्यापन के साथ लगभग दस हजार शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कुशल प्रशिक्षण दिया है। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त व्याख्याता सतीश उपाध्याय, आज भी निरंतर पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका नीलम दुबे , अपने वेतन से प्रतिभाशाली बच्चों के प्रोत्साहन के लिए आर्थिक मदद में सदा अग्रणी रहती है । शिक्षिका दुबे का कहना है कि-डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के सभी शिक्षकों के लिए एक आदर्श हैं उनके योगदान को स्मरण करने हेतु ही डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षकों के अमूल्य योगदान की चर्चा करते हुए नीलम दुबे ने कहा कि -शिक्षक राष्ट्र निर्माता है एवं शिक्षक व्यक्तित्व का विकास करते हैं और एक अच्छा इंसान बनाते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में विद्यार्थी जीवन का आगमन होता है और उसके जीवन में कोई ना कोई शिक्षक आदर्श के रूप में स्थापित हो जाते हैं ।
डॉ आर एन एस बीएड महाविद्यालय की सम्मानित छात्र अध्यापिका सुनीता सूर्यवंशी ने कहा कि मेरे जीवन का एकमात्र यही सपना था कि मैं शिक्षिका बनकर छात्राओं को मार्गदर्शन दूं क्योंकि हमारे जीवन में शिक्षकों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। एक शिक्षक ही ऐसा व्यक्ति है जो छात्रों के जीवन को सही दिशा देने का काम करता है। शिक्षक एक ऐसा व्यक्तित्व होता है जो छात्रों की अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर उजाले में लाने का काम करता है। बी एड महाविद्यालय में द्वितीय वर्ष में अध्यनरत अध्यापिका सुनीता सूर्यवंशी शिक्षकों को सम्मान देते हुए यह मानती है कि शिक्षक केवल पढ़ाते हैं बल्कि शिक्षा के साथ जीवन किस प्रकार से जिया जाए इसका भी ज्ञान देते हैं ।देश का भविष्य निर्माण करने एवं नेक इंसान बनाने में शिक्षकों का बुनियादी रूप से योगदान रहता है।छात्र अध्यापिका सुनीता सूर्यवंशी का कहना है कि माता-पिता जन्म देकर हमारा परवरिश करते हैं लेकिन शिक्षक हमारे व्यक्तित्व को विकसित करने में और अच्छा इंसान बनने में अपना पूरा जीवन खपा देते हैं ।