बर्फ का वो शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा बदनाम हो गया…. ज़ब तक देता अपनी सफाई खुद ब खुद शराब हो गया….
देश के आराध्य देव का अयोध्या में स्थापित श्रीराम का भव्य मँदिर चूने लगता हैं, नये भव्य सांसद भवन की छत टपकने लगती है, मप्र के उज्जैन के महाकाल मंदिर प्रांगण में लगी मूर्तियां हवा के झोंकेँ से गिर जाती हैँ, उप्र के काशी विश्वनाथ के नये मंदिर कॉरीडोर की भी चर्चा होती रही है और अब महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट में 8माह पहले लोकर्पित शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर जा ती है?सभी के लोकार्पण या उद्घाटन में देश के पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की भी कम चर्चा नहीं है?माना जाता है कि ऐसे समारोह में जहाँ पीएम की मौजूदगी हो तो गुणवत्ता पर विशेषध्यान दिया जाता है?लगता है कि चुनाव के पहले जल्दबाजी में निर्माण,पीएम के सामने अपने नंबर बढ़ानेकी जुगत और एक प्रदेश विशेष के लोगों को ही काम देने की मज़बूरी भी बड़ा कारण हो सकती है..? अजीब बात है, 2 सांसद से अयोध्या में राममंदिर बंनाने के नाम पर केंद्र और कई राज्यों मेंसत्ता सीन भाजपा की सरकारों ने मंदिर के अच्छे निर्माण करने में कोताही बरती है! पहली बरसात में राममंदिर पहुंच मार्ग की सड़कों की हालत, मूर्तियों की चोरी किसी से छिपी नहीं है,कोरो ना काल में भी जल्दबाजी में बने नये सँसद भवन (हालांकि अभी उसकी उतनी जल्दी भी नहीं थी ) की छत टपकने की चर्चा तेज है। महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना, शिवाजी महाराज को महानायक बनाकर,असली शिवसेना का अंग होने का दावा करने वाले सीएम एकनाथ शिंदे के कार्यकाल में 8 महीने पहले लोकर्पित शिवाजी महाराज की मूर्ति का गिरना और उस पर बयान कि 45 किमी की रफ़्तार से हवा चलने के कारण ऐसा हुआ, हास्यास्पद ही है..? बरसों पहले बने शिवाजी के किले की एक ईंट भी आज तक नहीं गिरी है। कुल मिलाकर भाजपा और सहयोगी दलों की जहां सरकारें है वहाँ क्या हो रहा है…?
नक्सलवाद का सफाया
और अमित का मंत्र….
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छग पुलिस को आश्वासन दिया है कि नक्सलियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के लिये हथियार, दूरसंचार उपकरण जैसे सभी संसाधन 20 दिनों के भीतर उपलब्ध कराएंगे।बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया-आश्चर्य की बात नहीं कि माओवादी, सुरक्षाबलों से बचने के लिए राज्यों के बीच सीमाओं पर खामियों का फायदा उठाते हैं।सुरक्षा बलों के साथ सहयोग बढ़ाने खुफिया संचार के हस्तांतरण पर जोर दिया गया ताकि बेहतर तैयारी,संचालन की योजना बनाई जा सके।शाह ने मार्च 2026 तक नक्सली के खात्मे का टारगेट देते हुये बताया- वर्ष 2022, चार दशकों में पहला वर्ष होगा जब हताहतों की संख्या 100 से नीचे आ गई,इसके अतिरिक्त 2014 -2024 के दशक में वामपंथी उग्रवाद की कम घट नाएं दर्ज की गईं और इस दौरान शीर्ष 14 नक्सलीनेताओं को निष्प्रभावी कर दिया गया।उन्होंने कहा कि 20 04 से 2014 के बीच 16, 463 घटनाएं दर्ज की गईं और 2014 से 2024 के बीच 7,744 घटनाएं दर्ज की गईं,जो 53% की महत्व पूर्ण गिरावट को ही दर्शाता है।2004-2014 के बीच सुरक्षा बलों, नागरिकों के बीच 6, 617 हताहत हुए जो 70% कम है।सुरक्षाबलों के हताहतों की संख्या में 73%की कमी आई, वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं के कारण नागरिकों की मृत्यु में 69% की कमी आई, गृहसचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका के अलावा बैठक में छग,मप्र, ओडिशा,आंध्र,तेलंगाना,महाराष्ट्र के मुख्य सचिवोंऔर पुलिस महानिदेशकों (डीजी पी) ने भाग लिया।झारखंड का प्रतिनिधित्व एडीजी ने किया, नक्सल प्रभावित राज्यों के डीजीपी, मुख्य सचिवों को नक्सलियों की आवाजाही के साथ प्रभाव क्षेत्रों में विकास पर “निरंतर निगरानी”रखने को कहा है, उन्होंने डीजीपी से हर हफ्ते नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल अधिकारियों से मिलने को भी कहा, मुख्य सचिवों को भी 15 दिन में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों की समीक्षा करने कहा है, अधिकारी के अनुसार छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में ऐसी कई बैठकें पहले से ही हो रही हैं,जहां माओवादी समस्या अभी भी मौजूद है, लेकिन अब उच्चस्तरीय बैठक में समय सीमा और एसओपी पर चर्चा हो चुकी है,अब नक्सल प्रभावित राज्यों में नीति बनजाएगी ?
गृह मंत्री विजय शर्मा
किससे बात करेंगे..?
छ्ग में राज्य बनने के बाद अभी तक वरिष्ठ विधायकों को गृहमंत्री बनाया जाता था,नंद कुमार पटेल, बृज मोहन अग्रवाल, ननकीराम कंवर, रामविचार नेताम, रामसेवक पैकरा, ताम्रध्वज साहूआदि गृहमंत्री रह चुके हैँ।नक्सली समस्या से रूबरू भी हुए। नक्सली समस्या पर ‘सलवा जुडम’,विशेष पुलिस अफसरों (एसपीओ) की नियुक्ति सहित कई प्रयोग भी हुए, नक्सली वारदात कम-ज्यादा होती रही। विष्णुदेव सर कार में पहली बार के विधा यक, हिंदुत्व के सहारे चुनाव जीतने वाले विजय शर्मा को डिप्टी सीएम सहित गृहमंत्री बनाया,नक्सली क्षेत्र में टार गेट देकर मुठभेड़,आत्मसमर्पण,गिरफ्तारी का दौर जारी है,विजय उत्साहित भी हैं, नक्सलियों से वार्ता की बात कई बार दोहरा भी चुके हैं, सवाल यह है,बस्तर में नक्सलियों का नेतृत्व कौन कर रहा है…? किससे शांति वार्ता करेंगे…? पहले वह नाम तो सामने आये..?वैसे उन्हें शायद पता नहीं होगा कि पहले संवैधानिक व्यक्ति से जेल में कुछ लोगों को मिलाया भी जा चुका है, बाद में पता चला कि वे लोग नक्सली थे ही नहीं…?
विस अध्यक्ष जीतते हैं तो
सरकार नहीं बनती….?
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद विधानसभा चुनावों के परिणामों से यह तय है कि विधानसभा अध्यक्ष विजयी होते है तो पार्टी की सरकार नहीं बनती,पराजित होते हैँ तो सरकार बनती है। राज्य के पहले विस अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल बने। 2003 के विस चुनाव में वे जीत तो गये, सरकार भाजपा की बनी। बाद में प्रेमप्रकाश पांडे अध्यक्ष बने 2008 के विस चुनाव में प्रेमप्रकाश पांडे पराजित हो गये, सरकार भाजपा की बनी। 2013 में विस अध्यक्ष धरम लाल कौशिक पराजित हो गये है, सरकार भाजपा की बनी थी,फिर गौरीशंकर अग्रवाल विस अध्यक्ष बने, वे पराजित हो गये, कांग्रेस की सरकार बनी। हाल के विस चुनाव में विस अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत तो जीत गये पर कांग्रेस की सरकार नहीं बनीँ…?
17 लाख असम की
2 भैसों पर खर्च….
छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने एक साल में असम की 2 भैंसों के भोजन आदि पर 17 लाख रुपये खर्च किया। यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से सामने आई है। 2020 में असम से बार नवापारा अभ्यारण्य से एक नर और एक मादा वन भैसों को बाड़े में रखा गया था 20 22 से लेकर 2023 तक इन दोनों भैंसों को आहार, दवा और अन्य सामग्री परकरीब 17 लाख 22 हजार 896 रु खर्च हुए थे।बाद में 20 23 में असम से चार मादा सब-एडल्ट वन बफ़ेलो और भी लाये गये । इसके बाद बाड़े में 6 की संख्या हो गई थी। जिसके बाद 2023 और 2024 में खाना, घास, बीज,तरबूज,चना खरी, पारा उनकी कुट्टी, हरे और बगीचे पर 24 लाख 94 हजार 474 रुपये खर्च हो गए थे।ऐसे में तरह तरह की चर्चा तो लाजमी ही है?
और अब बस….
0 महादेव सट्टा ऐप के मामले की जाँच सीबीआई को सौँपने से क्या पूर्व सी एम भूपेश की मुश्किलें बढेंगी…?
0 क्या छ्ग प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को बदला जा रहा है…?
0सीएम के सचिवालय के एक ओएसडी की छुट्टी करने चर्चा तेज है…?