छ्ग के गांव नर्रा में है प्रथम मराठा शासक बिम्बाजी भोसले की समाधि,पत्नी भी सती हुई थी
वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे जी कलम से....{किश्त 177}
कौन थे मराठा प्रशासक बिम्बाजी भोसले,छ्ग क़े नर्रा गांव से क्या था उनका सम्बन्ध…!छ्ग में मराठोँ का शासन था जो नागपुर से संचालित होता था। सन 1758 में बिम्बजी ने कई व्यवस्था बदली थी। रतन पुर, रायपुर का एकीकारण किया,यहाँ क़ी सामाजिक संस्कृतिक,राजनीतिक दशा -दिशा बदली थी , कल्याण कारी नीतियाँ बनाकर नया रूप गढ़ा था।छत्तीसगढ़ में सबसे छोटी जमींदारी थी नर्रा! वर्तमान में ओडिशा से सीमा से लगा एक छोटा गांव है जो रायपुर से 120 किमी की दूरी पर स्थित है। बताते हैं कि अपने शासन काल में सन 1787 में बिम्बाजी नर्रा में आकर रुके थे।साथ में तीन में दूसरी पत्नी उमा देवी भी थी,80किमी दूर पाइकमाल के पास संभवतः वे किसी विद्रोह को दबाने गये थे, जहां संघर्ष में उन्हें जहर लगा तीर लग गया….। घायल बिम्बाजी को नर्रा लाया गया। उपचार के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका, अंतिम संस्कार वहीं नर्रा गांव में ही कर दिया और इस बाबत एक चिट्ठी नागपुर लिखकर भेजी गयी, यह चिट्ठी अभी भी पुणे संग्रहालय में है।अंतिम संस्कार किसी पंडित से करवाया था और चिट्ठी भी उसी ने लिखी थी?आज क़ी स्थिति में नर्रा में बिम्बाजी भोसले की यह समाधि स्थल15 फ़ीट की लंबा- चौड़ा ध्वस्त स्मारक है। समाधि पर बिम्बाजी भोसले की तलवार को उल्टा करके गाड़ा गया था जिसकी पीतल की मूठ भी दिखाई देती है।इस घटना में एक घटना यह भी है कि यहां उसकी पत्नी उमादेवी भी उसके साथ सती हो गयी थी ! नर्रा में गड़ा सती स्तम्भ उसका प्रमाण है।छग क़े पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने महासमुंद क़े नर्रा गांव में स्थित छ्ग क़े पूर्व प्रशासक बिम्बाजी भोसले क़े समाधि स्थल, सती चौरा क़ेसौन्दर्यी करण क़ी घोषणा क़ी भी थी।
बिम्बजी भोसले (1758- 87)
मराठा साम्राज्य की एक शाखा नागपुर में शासन करती थी जहां रघुजी प्रथम भोंसले ने अपने राज्य की स्थापना की।रघुजी प्रथम के पश्चात सन 1757 ई. में उसके पुत्र बिंबाजी भोंसले ने छत्तीसगढ़ में प्रत्यक्ष रूप से शासन किया।रतनपुर के अंतिम कल्चुरी शासक मोहनसिंह,ने मराठों के अधीन रहकर छत्तीसगढ़ में शासन किया था। 1757 में इसकी मृत्यु के बाद रघुजी प्रथम के पुत्र बिंबाजी भोंसले ने छग में स्वतंत्ररूप से शासन किया।इन्होंने अपने राजधानी रतनपुर को बनाया ।बिंबाजी भोंसले नागपुर राजा के सहायक के रूप में छत्तीसगढ़ में शासन के रूप में नियुक्त किए गए थे किन्तु उन्होंने यहां स्वतंत्र रूप से शासन किया।बिम्बाजी भोसले, रायपुर राज्य के अंतर्गत छग के प्रथम मराठा शासक थे।उन्होंने न्याय के लिए रतनपुर में नियमित न्यायालय की स्थापना की।अपने शासनकाल में राज नांदगांव, खुज्जी नामक दो नई जमीदरियोँ का निर्माण किया।रतनपुर में रामटेकरी मंदिर का निर्माण किया तो विजयदशमी पर स्वर्ण पत्र देने की प्रथा भी आरंभ की इस समय कौड़ी मुद्रा का प्रचलन था उसके स्थान पर नागपुुुरी मुद्रा का प्रचलन शुरू करवाया था, बिम्बाजी ने प्रशासनिक तौर पर रतन पुर और रायपुर को एक कर छत्तीसगढ़ राज्य का रूप दिया था।रायपुर स्थित दूधाधारी मठ का भी पुन र्निर्माण कराया था| बिम्बा जीने यहां मराठी भाषा, मोड़ी लिपि,उर्दू भाषा को प्रचलित कराया था ।