आयुर्वेद के प्रति लोगों की चेतना और रुचि में हुई है वृद्धि -योग प्रशिक्षक उपाध्याय
मनेद्रगढ़ । एमसीबी।आयुर्वेद के प्रति लोगों की जागृति पहले के मुकाबले में वृद्धि हुई है एवं जड़ी बूटियां के प्रति भी विश्वास बढ़ा है इसके सरल उपयोग से लोगों की रुचि में निरंतर इजाफा हो रहा है -उक्ताशय के विचार आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण के जन्म दिवस पर आयोजित जड़ी बूटी दिवस के अवसर पर पतंजलि योग समिति के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक एवं जिला प्रभारी सतीश उपाध्याय व्यक्त कर रहे थे!
आयुर्वेदिक दवाओं की चर्चा करते हुए श्री उपाध्याय ने कहा भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा का जन मानस पर गहरा प्रभाव है ,अंग्रेज शासन काल में भी लोगों ने इसमें अपना विश्वास नहीं खोया था भारत के सुदूर ग्रामीण अंचलों में लोग आज भी जड़ी बूटियां पर आश्रित हैं भारत के ग्रामीण जनमानस पर जड़ी बूटियां में ही विश्वास पाया जाता है।
जड़ी बूटियां से किसी भी प्रकार का कोई हानि नहीं होता है।इसके अतिरिक्त जड़ी बूटी चिकित्सा में बहुत कम पैसे खर्च होते हैं दुनिया के कोने-कोने तक इसकी उपयोगिता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत में यह चिकित्सा पद्धति पश्चिम के देशों में अपनाई गई एवं काल एवं परिस्थिति के अनुसार इसमें परिवर्तन हुए ।
भारत में औषधीय पौधों की जानकारी वैदिक काल से ही परंपरागत रूप से चली आई हैउन्होंने पतंजलि योग समिति के द्वारा चलाए जा रहे अभियान के संबंध में कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य रोग को नष्ट करना है जिससे लोग सरलता एवं सहजता से स्वास्थ्य सेवाएं पा सके इसके प्रयास में पतंजलि योग समिति के माध्यम से सभी योग साधक निरंतर लगे हुए हैं योग प्रशिक्षक उपाध्याय ने पाश्चात्य प्रभाव संस्कृति एवं आयुर्वेद के प्रति उदासीनता की चर्चा करते हुए कहा कि आज भी जितना विश्वास लोगों में अंग्रेजी दवाई को लेकर है उतना पारंपरिक परंपरा परंपरागत जड़ी बूटियां की चिकित्सा पद्धति पर नहीं है भारत की आज सबसे सहज सस्ती और जनकल्याणकारी पद्धति आयुर्वेदिक पद्धति है जिसके अंतर्गत आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां के द्वारा चिकित्सा की जाती है उन्होंने एलोवेरा गिलोय, अजवाइन अलसी, अनार शिवनाक अर्जुन की छाल, बबूल हर बहेड़ा, बकायन, ब्राह्मी चमेली दूधी ,इसबगोल गिलोय आदि जड़ी बूटियां के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसके रोपण एवं संरक्षण के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।