छत्तीसगढ़

फूड ग्रेड महुआ फूल के संग्रहण से ग्रामीणों को मिलेगा तीन से चार गुना ज्यादा मुनाफा – कश्यप

मनेंद्रगढ़ डीएफओ मनीष कश्यप ने दी विभाग की महती योजनाओं की जानकारी

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मनेन्द्रगढ़।एमसीबी। फूड ग्रेड महुआ फूल के संग्रहण के लिए महुआ पेड़ के नीचे नेट फैलाकर एक छत्र तैयार किया जाता है। पेड़ से गिरने वाला महुआ फूल इस नेट में इकट्ठा होता है, जो जमीन की धूल और रेत से सुरक्षित रहता है और ऐसे महुआ का मूल्य 3 से 4 गुना ज्यादा मिलता है इससे ग्रामीणों को अधिक फायदा होता है।
उक्त बातें एमसीबी प्रेस क्लब द्वारा आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के दौरान वनमंडलाधिकारी मनेंद्रगढ़ मनीष कश्यप ने कही। प्रेस क्लब अध्यक्ष रंजीत सिंह के द्वारा पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका स्वागत किया गया। डीएफओ कश्यप ने विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए फूड ग्रेड महुआ फूल के संग्रहण से अपनी बात शुरू की और बताया कि 500 क्विंटल महुआ इकट्ठा कर हेड क्वार्टर भेजा गया है जिसके बेचने की प्रक्रिया चल रही है। फूड ग्रेड महुआ संग्रहण से ग्रामीणों को ज्यादा फायदा हो रहा है इसके लिए विभाग द्वारा उन्हें प्रेरित भी किया जा रहा है। इसी क्रम में उन्होंने तेंदूपत्ता संग्रहण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मनेंद्रगढ़ वनमंडल द्वारा निर्धारित लक्ष्य से अधिक संग्रह किया गया है। डीएफओ ने बताया कि तेंदूपत्ता संग्रहण में पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में मनेंद्रगढ़ वनमंडल भी शामिल है। 24 करोड़ रूपए का भुगतान तेंदूपत्ता संग्राहकों को किया गया है। आगे उन्होंने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए एक पेड़ मां के नाम अभियान के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि मनेंद्रगढ़ वनमंडल में इस अभियान के तहत 80 हजार पौधे एक ही दिन में लगाए गए हैं। इसके लिए सरकारी संस्थाओंका सर्वे कराया गया और बाउंड्रीवाल वाले स्थलों पर ही पौधों का रोपण किया गया है। अभियान में बढ़-चढक़र शामिल होने और अपनी मां के नाम पर पौधे लगाए जाने के लिए उन्होंने स्कूली बच्चों की भी सराहना की। डीएफओ ने बताया कि महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों के द्वारा भी मनेंद्रगढ़ वनमंडल द्वारा उपलब्ध कराए गए 60 हजार पौधों का रोपण कर अभियान में अपना अमूल्य योगदान दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में 3 लाख चंदन के पौधे मनेंद्रगढ़ वनमंडल से भेजे गए हैं। विभाग की महती योजनाओं की जानकारी देने के उपरांत डीएफओ के द्वारा मनेंद्रगढ़ वनमंडल द्वारा किए गए अच्छे कार्यों मियावाकी तकनीक और महुआ बचाओ अभियान के विषय में भी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि मियावाकी तकनीक जिसे मिनी फॉरेस्ट के नाम से भी जाना जाता है, इस तकनीक के तहत प्रति हेक्टेयर 10 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। यह छोटी जगह में ज्यादा पौधे लगाने की विधि है। मनेंद्रगढ़ वनमंडल में 5 स्थानों पर इस विधि के तहत पौधे लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शहर के बीच जो छोटे-छोटे क्षेत्र हैं वहां पर भी मिनी फॉरेस्ट लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि मिनी फॉरेस्ट 10 गुना ज्यादा
ऑक्सीजन देता है तथा 20 गुना कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है साथ ही प्रदूषण को रोकता है। वहीं महुआ बचाओ अभियान के विषय में विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में बताया कि क्षेत्र में अभी छोटे महुआ के पेड़ नहीं के बराबर हैं। जो बड़े पेड़ हैं उनके फल देने की एक निश्चित अवधि है तथा इस क्षेत्र के अधिकांश पेड़ काफी पुराने हो गए हैं, इसलिए नए पेड़ जरूरी हैं। विभाग द्वारा महुआ बचाओ अभियान के तहत ग्रामीणों को ट्री गार्ड के साथ पौधे दिए गए हैं। 30 हजार महुआ पौधे गांव की खाली जमीन में लगाए गए हैं। अगले साल 2 लाख महुआ के पौधे लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि महुआ बचाओ अभियान की मुख्यमंत्री द्वारा भी सराहना की गई है। विभागीय योजनाओं की जानकारी देने के उपरांत डीएफओ कश्यप ने पत्रकारों के सवालों का भी जवाब दिया। भालुओं के रिहायशी क्षेत्र में प्रवेश करने को लेकर उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के लिए जंगल में फल नहीं मिल रहा, इसके लिए जंगल में
जानवरों के खाने के लिए फलदार पौधों का भी रोपण कराया जाएगा। हाथी विचरण के लिए ट्रेकिंग कराई जा रही है साथ ही नुकसान का मुआवजा भी दिया जा रहा है। इसके अलावे अन्य सवालों के भी उनके द्वारा संतोषजनक जवाब दिए गए।

इस दौरान डीएफओ ने पत्रकार भवन के समीप प्रेस पार्क का अवलोकन भी कियाऔर हरे-भरे पार्क के लिए क्लब की सराहना की।


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