छत्तीसगढ़

अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मुलन दिवस पर महिलाएं जागरूक हुई है -सुरेन्द्र साहू

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लखनपुर।सरगुजा।  समाजसेवी सुरेन्द्र साहू प्रदेश सचिव छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान ने अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा उनमुल दिवस के अवसर पर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से कैसे अपने आप को सुरक्षित रखे, उनसे कैसे अपने आपको सुरक्षित रखा जाए इस पर विस्तृत रूप से व्याख्या किया है जिसमे

अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मुलन दिवस -घरेलू हिंसा यदि घर में आपके साथ मारपीट, यौन दुराचार, सामाजिक,मौखिक और भावनात्मक उत्पीड़न होता है। आपका तिरस्कार हो रहा है आपको बार बार अपशब्द,गाली गलौज या अपमानित किया जा रहा है या लगातार तलाक़ की बात या शारिरीक क्षति पहुंचाई जा रही है तो यही घरेलू हिंसा है। आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं

*कार्य स्थल पर यौन शोषण* -कार्यस्थल पर यौन शोषण के अलावा पुरूषों के समान वेतन न मिलना,हेय कि दृष्टि से देखना, कार्य के दौरान लगातार घुरते रहना, कार्य के दौरान अनावश्यक शरिर को छुना और अलग से शौचालय की व्यवस्था न करना भी महिला हिंसा में ही सामिल है‌‌।

*दहेज उत्पीड़न* -विवाह के समय या विवाह के पश्चात् महिला के परिवार से किसी तरह कि सम्पत्ति या रूपए कि मांग करना और उसके लिए दबाव बनाना दहेज उत्पीड़न में शामिल हैं।हर साल हजारों महिलाओं की दहेज उत्पीड़न के चलते जान चली जाती है।

*डिजिटल हिंसा* -आजकल महिलाओं के साथ डिजिटल हिंसा के मामले भी तेजी से लगातार बढ़ रहे हैं। मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया, कम्प्यूटर गेम, मैसेज, ईमेल,मिस काल आदि से किसी भी तरह के अश्लील मैसेज भेजकर घमकी देना डिजिटल हिंसा है। *महिला तस्करी*- महिलाओं को लालच देकर,धोखे से बलपूर्वक जबर्दस्ती बंधक बनाकर दुसरी जगहों पर बेचना और गलत कार्य एवं यौन कार्य में लिप्त करना महिला तस्करी है,जो महिलाओं के खिलाफ होने वाली बड़ी हिंसा है।

*यौन हिंसा बाल विवाह* – किसी भी प्रकार की यौन हिंसा भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा में शामिल हैं।18वर्ष से कम उम्र कि लड़कियों का विवाह करवाना कानुनन अपराध है।इसको भी हिंसा में शामिल किया गया है।

*ऐसे ले सकते हैं कानून की मदद -घरेलु हिंसा के खिलाफ* महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 बनाया गया है। घरेलू हिंसा कि शिकार महिला नजदिकी पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा सकती है।साथ हि अगर शिकायत पर कार्रवाई ना हो तो राज्य महिला आयोग या लिखित में स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में शिकायत दर्ज करवा सकती है।हर जिले में महिला और बाल विकास विभाग में जिला संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता,वन स्टाफ सेंटर या गैर सरकारी संगठनों से निशुल्क सहायता ले सकती है।साथ निशुल्क विधिक सहायता भी ले सकती है।।यौन शोषण के लिए आईपीसी कि धारा 376 के तहत आजीवन कारावास तक कि सजा का प्रावधान है ‌नाबालिक लड़कियों के लिए किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत पास्को एक्ट के अंतर्गत आजीवन सजा तक का प्रावधान है। पास्को एक्ट के तहत अपराधी का जमानत भी नहीं होता है। कार्यस्थान पर कुछ ग़लत हो रहा है तो संबंधित अधिकारियों को सुचना दे। सुनवाई न हो तो पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराए। कार्यस्थान पर महिलाओं के साथ यौन शोषण अधिनियम 2003 बनाया गया है।जहां पर हर आफिस में समिति बनाना अनिवार्य है जो सभु पर नजर रखती है। दहेज निषेध अधिनियम 1961एंव आईपीसी की धारा 498ए में महिलाओं से दहेज मांगने व क्रुरता पर पुलिस में शिकायत करके न्याय प्राप्त किया जा सकता है। आरोप साबित होने पर तीन वर्ष तक कि सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है।

*घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं इस तरह अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं* -अपने साथ होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ आप स्थानीय पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवा सकती है।डाक से भी आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। महिला पुलिस थाने में भी मामला दर्ज कराया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिला में सखि वन स्टाफ सेंटर बनाए गए हैं जहां कोई भी महिला अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है। अपनी शिकायत 100,112 नंबर में डायल कर भी कर सकते हैं। अगर कहीं भी कि गई शिकायत पर कार्रवाई ना हो तो न्यायालय में स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से लिखित आवेदन प्रस्तुत करके न्याय प्राप्त कर सकते हैं। महिलाओं के साथ हुई हिंसाओं के मामले में भारतीय कानून में आजिवन कारावास तक का प्रावधान है। *लिखित शिकायत की पावती अवश्य ले

*- घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने निकटतम पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाने के बाद शिकायत कि पावती अवश्य ही रखे। इससे आप थाने मे ज़बाब भी मांग सकते हैं कि जो शिकायत दर्ज है उसके बारे में आगे क्या कार्रवाई हो रही है।अगर आप पुलिस के कार्यवाही से असंतुष्ट हैं तो स्वयं कोर्ट में अपने प्रति हुए हिंसा का आवेदन प्रस्तुत करके दोषियों को सज़ा दिलवा सकते हैं । इसके अलावा आप आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन महिला और बाल विकास विभाग, गैर-सरकारी संगठनों के सेवा प्रदाताओ पुलिस थानो और सामाजिक कार्यकर्ताओ को भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। किसी भी प्रकार इसमें मदद की जरूरत हो तो सम्पर्क करके उस पर कार्यवाही के लिए सम्पर्क किया जा सकता है ।


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