छत्तीसगढ़

पतंजलि योग समिति के द्वारा आयोजित’ प्राणायाम विचार श्रृंखला ‘में उपस्थित हुई योग साधिका सुनीता मिश्रा

बाह्य प्राणायाम" उदर रोगों में उपयोगी - सुनीता

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मनेद्रगढ़।एमसीबी। जीवन में किसी भी बात को आत्मसात करना एक बहुत बड़ा चुनौती भरा काम होता है। भारतीय जनमानस ने सृष्टि के आदिकाल से योग को अपने जीवन शैली में सम्मिलित किया है ,मध्यकाल में योग का अभ्यास शीथिल पड़ गया था वर्तमान में चल रही योग क्रांति से पुनः अतीत की पुनरावृत्ति हुई है- उक्ताशय के विचार पतंजलि योग समिति एम सी बी द्वारा आयोजित “प्राणायाम विचार श्रृंखला” को संचालित करते हायर सेकेंडरी विद्यालय बेलबहरा से आमंत्रित व्याख्याता एवं योग साधिका सुनीता मिश्रा ने व्यक्त किया।
योग में प्राणायाम का स्थान एवं उसके प्रभाव पर बोलते हुए योग साधिका सुनीता मिश्रा ने विशेष रूप से” बाह्य प्राणायाम “के बारे में विस्तार से बतलाया। उन्होंने बताया कि बाह्य प्राणायाम त्रिबंध के साथ किया जाता है ।सिद्धासन या पद्मासन में विधिपूर्वक बैठकर श्वास को एक ही बार में यथाशक्ति बाहर निकलना चाहिए इस प्राणायाम को करने से मन की चंचलता दूर होती है उदर रोगों में लाभप्रद है ।बुद्धि तीव्र होती है साथ ही बाह्य प्राणायाम करने से पेट के सभी अवयवों पर विशेष लाभ होता है। पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी एवं वरिष्ठ योग प्रशिक्षक सतीश उपाध्याय ने विचार श्रृंखला में उपस्थित सुनीता मिश्रा के महत्वपूर्ण प्राणायाम- की जानकारी देने पर आभार व्यक्त किया! कार्यक्रम का संचालन पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी ने किया! इस अवसर पर पतंजलि योग समिति के समस्त योग साधक एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।


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