अम्बिकापुरछत्तीसगढ़

सरगुजा राजपरिवार, पिता मुख्य सचिव, माँ मंत्री तो पुत्र डिप्टी सीएम भी रहे…

वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे की कलम से,(किश्त 132)

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सरगुजा राजपरिवार, पिता मुख्य सचिव, माँ मंत्री तो पुत्र डिप्टी सीएम भी रहे...

छत्तीसगढ़ में राजघरानों का राजनीति में अच्छा दखल रहा है पर सरगुजा राजपरिवार के एमएम सिंह देव मप्र में मुख्यसचिव भी रहे तो रानी देवेंद्र कुमारी, दो मंत्रिमंडल में सदस्य रहीं वहीं पुत्र टी एस सिंहदेवछ्ग में डिप्टी सीएम,नेता प्रति पक्ष भी रह चुके हैं।

सरगुजा राजपरिवार, पिता मुख्य सचिव, माँ मंत्री तो पुत्र डिप्टी सीएम भी रहे...

सरगुजा के महाराजा मदनेश्वर शरण सिंहदेव (एमएस सिंहदेव प्रचलित नाम)प्रसिद्ध थे।
2 जून 1930 को अम्बिकापुर में जन्म लेने वाले 1954 बैच के आईएएस थे,9 मार्च 1988 से 30 जून 88 मप्र के मुख्यसचिव रहे,उनकी गणना देश के श्रेष्ठ राजस्व, कानून विशेषज्ञ के रूप में होती थी,कँटीली झाड़ियों, बंजर, पथरीली, वनभूमि को भूमिहीन परिवारों को ‘सिंह देव योजना’ मेंपट्टा देकर खाद्यान उत्पादन और भूमि सुधार का मार्ग प्रशस्त किया था। देश की खाद्यान्न आत्म निर्भरता में मील का पत्थर साबित हुआ। शासकीय सेवा में जायें,या नही? इस पर महाराजा रामानुज ने मित्रों डॉ राजेन्द्र प्रसाद,पं नेहरू, गोविन्द वल्लभ पन्त डीपी मिश्र, पट्टाभि सीता रमैया,सरदार पटेल, कैलाश नाथ काटजू से गहन मंत्रणा की, निष्कर्ष निकला कि उन्हें शासकीय सेवा में ही भेजा जाए, डीपी मिश्र उन्हें सीपी एण्ड बरार कैडर में तराशने के लिये तब के प्रसिद्ध अफसर नरोना के जिम्मे दे दिया, इस प्रकार प्रदेश को एक तराशा जन सेवक मिला,सरगुजा महाराजा,टीएस सिंहदेव ‘बाबा’ के पिता थे,बाबा की माता, राजपरिवार की बहुरानी, राजमाता भी बनी,अविभाजित मप्र में प्रकाशचंद्र सेठी,अर्जुन सिंह के मंत्रि मंडल में शामिल देवेन्द्र कुमारी,पति एमएम सिंहदेव के प्रशासनिक अफसर के साथ कदमताल करती हुई नौकरी के चलते सरगुजा छोड़कर देशप्रदेश में कई जगहों पर रहना पड़ा था13 जुलाई 1933 को हिमाचल के जुब्बल राज परिवार में जन्मी देवेन्द्र कुमारी का विवाह 21अप्रैल 1948 को सरगुजा के एमएम सिंहदेव के साथ हुआ था। विवाह के बाद पति एमएम सिंह देव के साथ ही इलाहाबाद चली गई तब पति वहां पढ़ाई करते थे, इलाहाबाद में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव (बाबा) का जन्म हुआ था। पति के आईएएस होने के बाद पति के संग जबलपुर, मंदसौर, रतलाम, छतरपुर में कलेक्टर होने के दौरान, फिर सचिव,प्रमुख सचिव,अतिरिक्त मुख्य सचिव, मप्र के मुख्य सचिव होने पर भोपाल में भी लंबे समय तक साथ-साथ रहीं, पर सरगुजा आना-जाना भी लगा रहता था। कांग्रेस की राजनीति में उनकी रूचि भी रही 1977 के आपातकाल में देश की बदली परिस्थिति में इंदिरा गांधी को जनता पार्टी की सरकार ने जेल में बंद किया था। भोपाल में कांग्रेस जेल भरो आंदोलन का नेतृत्व देवेन्द्र कुमारी ने ही किया था.लाठीचार्ज में वे भी घायल हुई थीं,उन्हें जमानत पर रिहा करने की पेशकश हुई थी पर उन्होँने टूटे हाथ और स्ट्रेचर में ही जेल जाना पसंद किया था।महात्मा गांधी से मुलाकात भी की थी और दुर्भाग्य से दूसरे दिन ही बापू की हत्या हो गई थी। अपने 5 बच्चों को सम्हालने वाली, अधिकारी पति, सहयोगी की भूमिका के साथ 1972-77 तथा 80- 85 मेंअंबिकापुर, बैकुंठपुर से विधायक,जून 1974 में प्रकाशचंद सेठी मंत्रिमंडल में वित्त, पृथक आगम तथा अर्जुनसिंह मंत्रिमंडल में 80-85 में लघु सिंचाई मंत्री का दायित्व सम्हाला था, छग सहित सरगुजा में सिंचाई सुवि धाओं का विस्तार भी हुआ था। महाराजा मदनेश्वर शरण सिंहदेव का निधन 24 जून 2001 को हुआ था।

नेहरू,कार, डिनर और
सिंहदेव का इंतजार…..

गांधी परिवार से भी सिंह देव का काफी पुराना नाता है।एक बार देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू एक रैली में इलाहाबादआए थे,तब उनके बगल से खुली छतवाली लाल स्पोर्ट कार फर्राटा भरती निकल गई, रैली के लिए नेहरूजी वैसी ही गाड़ी चाहते थे,अफसरों से उस गाड़ी का पता लगा कर मांगने को कहा,पता चला वह गाड़ी अध्ययनरत उनके मित्र सरगुजा राजा रामानुजशरण सिंह देव के पोते टीएस सिंहदेव केपिता मदनेश्वरशरण सिंह की है।गाड़ी मंगाई गई और शानदार रैली हुई, रात को डिनर में सरगुजा के राजारामानुज शरण सिंह देव के कार वाले “पोते” के न दिखने पर नेहरू ने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की, तो पता चला वे तो आमन्त्रित हीं नहीं हैं। तब नेहरूजी ने उन्हें बुलवाने,आने तक इंतजार करने कहा फिर पूरा प्रशासनिक अमला उनका पता लगाते हुए सिनेमा हॉल पहुंचा,जहां शो रुकवाकर अनाउंस कर उन्हें को नेहरूजी के सामने लाया गया।तब नेहरूजी ने उनके साथ डिनर भी लिया।


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