भारत को टीवी मुक्त कराने में विवेकानंद कॉलेज का योगदान
टीबी एक संक्रामक बीमारी है लेकिन लाइलाज नहीं है-डॉ सरोज बाला श्याग बिश्नोई -
मनेन्द्रगढ़ । शासकीय विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ में विश्व क्षय दिवस पर जागरूकता व्याख्यान के माध्यम से टीबी के विनाशकारी सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्यगत परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाते हुए प्राचार्य एवं कार्यक्रम अधिकारी रासेयो डॉ सरोज बाला श्याग बिश्नोई के द्वारा बताया गया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है लेकिन लाइलाज नहीं है। यह रोगी के कफ, थूक में उपस्थित जीवाणुओं को हवा के माध्यम से फैलाता है। यदि किसी को दो हफ्ते से अधिक खांसी, बलगम, सीने में दर्द, भूख न लगना एवं लगातार बुखार रहने की शिकायत हो तो डॉक्टर से परामर्श कर टीबी की जांच अवश्य करा लेनी चाहिए। समय रहते इलाज करा लिया जावे तो इससे पूरी तरह से रोगी को स्वस्थ किया जा सकता है। विश्व क्षय दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष की थीम है “हां हम टीवी का अंत कर सकते हैं।” डॉ. विश्नोई ने आगे बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर दिन 41 हजार से अधिक लोग टीबी से अपनी जान गवांते हैं। एक दशक से अधिक समय में पहली बार वर्ष 2020 में टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। दुनिया भर में कुल टीबी रोग से ग्रसित मामलों में भारत का हिस्सा लगभग 26% है। उन्होंने बताया कि आज ही के दिन रॉबर्ट कोच ने एक ‘माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस’ की खोज की थी जो टीवी का कारण बनता है। उनकी इस खोज ने बीमारी का निदान और इलाज का रास्ता खोल दिया। आज हम सभी शपथ लेंगे कि टीबी के डर को हम सतर्कता की ताकत से और पूर्ण समर्पण भाव से इसके भेदभाव को समाप्त करेंगे और भारत को टीबी मुक्त बनाने के यज्ञ में अपना पूर्ण योगदान देंगे। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ बिश्नोई द्वारा उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं स्टाफ को भारत को क्षय मुक्त कराने में अपना योगदान देने के लिए शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम में रासेयो,रेड रिबन क्लब, रेड क्रॉस के स्वयंसेवक छात्र-छात्रा तथा महाविद्यालय के अन्य छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारीगण डॉ रश्मि तिवारी, डॉ अरुणिमा दत्ता, स्मृति अग्रवाल, नीलम द्विवेदी, पुष्पराज सिंह, रामनिवास गुप्ता, मनीष श्रीवास्तव, मीना त्रिपाठी, सुनीत जॉनसन बड़ा आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे।