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जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना  के डेम में दरार

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जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना  के डेम में दरार
जनकपुर । एमसीबी जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना के तहत बने
स्टॉप डैम जो महज निर्माण के 9 माह में इसके गुवक्ता की पोल खुल गई । इस डेम का निर्माण कार्य ठेकेदार के द्वारा किया तो गया मगर अधीकारियो की लापरवाही से महज कुछ दिनों में इस निर्माण कार्य की पोल खुल गई और इसमें दरारे साफ देखने को मिल रही है सरकार के द्वारा किसानों को पानी देने के लिये कराया था डेम का निर्माण जिससे किसान कई फसलों का मील सके लाभ । लेकिन किसानों का सपना अधूरा ही रह जायेगा।

जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना  के डेम में दरार

जनकपुर भरतपुर विधानसभा के ग्राम चुटकी में जल संसाधन विभाग के द्वारा डौकीझरिया स्टॉप डेम के कार्य किया जा रहा । डेम का कार्य अभी पूरा हुआ ही नही और मात्र 9 महीना के अंदर ही उक्त स्टॉप डेम के निर्माण की सच्चाई खुल गई उक्त निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन सामग्रियों का भरपूर उपयोग किया गया साथ ही जंगल की गिट्टी आदि के प्रयोग से उक्त कार्य को पूर्ण कर दिया गया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से शासन के पैसे का किस तरह से बंदरबांट किस तरह किया गया है और गरीब किसानों को किस कदर ठगा गया, किसानों को उक्त बांध का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा ।

जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना  के डेम में दरार

करोड़ों रुपए खर्च स्टाप डेम तैयार किए गए। स्टाप डेम में दरारे आ गई है अल्प समय में ही इन स्टापडेम का क्षतिग्रस्त हो जाना इंजीनियरों के कार्यों में गुणवत्ता की पोल खोल रहा हैं। जलसंसाधन द्वारा सात करोड़ों रुपए खर्च कर स्टापडेम का निर्माण कराया गया विडम्बना यह भी है कि इस स्टाप डेम से करोड़ो रुपए खर्च होने के बाद भी पानी किसानों को नहीं मिला। नहर का काम भी अधूरा छोड़ दिया गया । वही ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी स्टॉप डैम बनाए, उनमें से अधिकांश का निर्माण इतना घटिया तरीके से किया गया था कि वे बनने के कुछ माह बाद ही क्षतिग्रस्त हो गए। जिस पानी को रोकने के लिए डेम बनाए गए थे, अधिकांश डेम उसी पानी में बह गए। इनका निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत को मिटाने और लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को बढ़ाने व किसानों के लिए किया गया था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जहां स्टाप डेम का निर्माण हुआ था, उन्हीं क्षेत्रों में पानी की किल्लत भी गहरा गई है।अभी भी बहुत से स्टाप डेम छतिग्रस्त हैं बहुत से डैम ऐसे हैं, जो निर्माण के बाद पहली बारिश का भी सामना नहीं कर पाए। बारिश के दौरान जैसे ही डेम में पानी भरा, वैसे ही पानी के दबाव के चलते डेम की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई। इस तरह से स्टाप डेम का फूट जाना निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को बयां करता है एवं भ्रष्ट लोगो की संलिप्तता उजागर करता है

ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बने स्टापडेम में मौजूदा समय में पानी नहीं बचा है। जबकि इनका निर्माण पानी को रोकने के लिए किया जाता है।

जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना  के डेम में दरार

वही 7 करोड़ की लागत से बनाए गए डैम की जानकारी देते हुए एच एस गुप्ता अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग जनकपुर के द्वारा बताया गया कि जो डैम बनाया गया है उसका 10 साल तक बनाए गए डैम का मेंटेनेंस रहता है उसे अभी सुधरवा दिया गया है क्योंकि डैम के अगल-बगल मिट्टी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से डैम के किनारे पर दरार आ गया था उसे सुधरवाया गया और कॉन्टैक्टर जो डैम बनाया है उसका 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट रहता है 10 साल के अंदर उस में कुछ भी होता है उसे कॉन्टैक्टर के द्वारा ही सुधार कार्य किया जाता है और अभी सुधरवा दिया गया है


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