छत्तीसगढ़धार्मिक

वीर बाल दिवस,, मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है – कृष्ण बिहारी जायसवाल

प्रेमाबाग गुरुद्वारा साहिब में याद की गई साहिबजादों की शहादत

Ghoomata Darpan

वीर बाल दिवस,, मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है - कृष्ण बिहारी जायसवाल

कोरिया। बैकुंठपुर । वीर बाल दिवस प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है।यह उत्सव, सिक्खों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे बाबा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत के सम्मान में मनाया जाता है। जिसको लेकर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी, 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन घोषणा की थी कि, 26 दिसंबर को “वीर बाल दिवस पूरे देश में मनाया जायेगा।जिसके मद्देनजर 26 दिसंबर दिन मंगलवार को बैकुंठपुर स्थित प्रेमाबग गुरुद्वारा साहिब में आम शहरी, सिख समुदाय व भाजपा नेताओं ने साहिबजादे बाबा फतेह सिंह व जोरावर सिंह की शहादत को नमन किया और इनके बलिदान दिवस पर नम आंखों से दोनो साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित किया । जिस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल ने बताया की श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों, साहिबजादा, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की याद में वीर बाल दिवस का आयोजन किया जाता है।
वीर बाल दिवस दो अबोध बालकों के मातृभूमि और अपने धर्म के प्रति सच्ची शहादत के इतिहास की याद दिलाता है।उन्होंने बताया की पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे। उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था।
गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।इसकी स्थापना, सिखों को उनके धर्म के आधार पर भेदभाव की समाप्ति के उद्देश्य से की गई थी।
गुरु गोबिंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे थे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, जो सभी खालसा का हिस्सा थे। उन चारों को 19 साल की उम्र से पहले ही मुगल सेना ने मार डाला था। जिसमे साहिबज़ादे ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह सिख धर्म के दो सबसे प्रसिद्ध शहीद हैं। जिन्हे औरंगजेब द्वारा सन 1704ई में मुगल सेना ने आनंदपुर साहिब को घेर लिया था और गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों को कैद कर लिया था। जिसके बाद उनके सामने शर्त रखी गई कि वे इस्लाम कबूल कर लेंगे तो उन्हें नहीं मारा जाएगा। परंतु दोनो साहिबजादों ने
धर्मान्तरण के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसके बाद मुगलों द्वारा दोनो साहिबजादों को मौत की सजा दी गई और ईंट की दीवार में उन्हें जिंदा चुनवा दिया गया।जायसवाल ने बताया की इन दोनों शहीदों ने धर्मान्तरण की बजाय मौत को गले लगाना मंजूर कर लिया । बाल वीर दिवस कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल, महामंत्री पंकज गुप्ता , विनोद साहू ,जिला उपाध्यक्ष शैलेश शिवहरे,हनी सिंह, बलजीत सिंह, गुड्डू सरदार, परमजीत कौर,अरशद खान, प्रखर गुप्ता ,कुणाल जायसवाल,सोना लाल राजवाड़े,राजेश साहू, धीरेन्द्र,विष्णु राजवाड़े ,आशीष यादव ,अनिल राजवाड़े ,रवि ,विकास दुबे , सुदीप सोनी, महेंद्र जैन उपस्थित रहे।


Ghoomata Darpan

Ghoomata Darpan

घूमता दर्पण, कोयलांचल में 1993 से विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध अखबार है, सोशल मीडिया के जमाने मे आपको तेज, सटीक व निष्पक्ष न्यूज पहुचाने के लिए इस वेबसाईट का प्रारंभ किया गया है । संस्थापक संपादक प्रवीण निशी का पत्रकारिता मे तीन दशक का अनुभव है। छत्तीसगढ़ की ग्राउन्ड रिपोर्टिंग तथा देश-दुनिया की तमाम खबरों के विश्लेषण के लिए आज ही देखे घूमता दर्पण

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button