राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेष : रियासतों के विलीनीकरण में लौहपुरुष के योगदान को बुलाया नहीं जा बुलाया जा सकता डॉ- विनोद पांडेय
Praveen Nishee Sat, Nov 1, 2025
इतिहासकार डॉ. विनोद पांडेय बताते हैं कि तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की दृढ़निश्चय व बुद्धिमत्ता पूर्ण 562 रियासतों की विलीनीकरण कर विशाल भारतीय साम्राज्य का निर्माण किया यह भुलाया नहीं जा सकता ।
डॉक्टर पांडेय आगे बताते हैं की अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ना सुनिश्चित हो चुका था, 3 जून 1947 को ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता के रास्ते मुस्लिम लीग द्वारा किए गए विरोध को विशेष महत्व देना प्रारंभ कर दिया तथा राष्ट्र विभाजन की रूपरेखा तय की गई इस योजना में ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट तथा यह निर्णयात्मक विचार प्रस्तुत किया कि भारत की स्वतंत्रता पश्चात देशी रियासते भी स्वतंत्र हो जावेगी इसके उपरांत यह स्वतंत्र रियासतों की इच्छा पर निर्भर करेगा कि या तो भारतीय संघ में रहे या पाकिस्तान संघ में सम्मिलित हो जाए । अंग्रेजों ने कूटनीतिक चाल से भारतीय नेताओं के सामने अंग्रेजों ने एक विकराल समस्या उत्पन्न कर दी । इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार के अंतर्गत एक रियासत विभाग की स्थापना की गई तथा सरदार वल्लभभाई पटेल को 5 जुलाई 1947 को इसका कार्यभार सौंप दिया गया । लॉर्ड माउंटबेट ने सरदार पटेल के परामर्श को मान्यकर, कुछ रियासतों को छोड़कर सभी ने 25 जुलाई इंस्टमेंट ऑफ़ एक्सेशन के अनुसार भारतीय संघ में सम्मिलित होने का निर्णय कर लिया लेकिन बड़े रियासत कश्मीर, हैदराबाद तथा जूनागढ़ विवाद स्वरूप अलग रहे जिन्हें कुछ समय बाद भारतीय संघ में विलय गया
उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ की कुछ रियासतों ने पूर्वी राज्य संघ का निर्माण कर लिया लेकिन सरदार पटेल दृढ़निश्चयी थे ।
छत्तीसगढ़ के रियासतों के विलीनीकरण के ऐतिहासिक बैठक के संबंध में डॉ. पांडेय बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की देशी रियासतों को भारतीय संघ में विलय करने हेतु सरदार वल्लभभाई पटेल अपनी पुत्री मनी बेन पटेल तथा सचिव बी पी मेनन तथा अन्य कर्मचारियों के साथ 15 दिसंबर 1947 को 3:55 बजे मि बी एयरवेज के विशेष विमान से नागपुर आए। हवाई अड्डे पर प्रांत के गवर्नर मंगलदास पकवास, मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल, द्वारिका प्रसाद मिश्र व अन्य नेताओं ने उनका स्वागत किया सरदार पटेल हवाई अड्डे से सीधे छत्तीसगढ़ के रियासतों के राजाओं की बैठक में भाग लेने सरकारी हाउस चले गए शाम 4:30 बजे ऐतिहासिक बैठक प्रारंभ हुई इस अवसर पर प्रांतीय सरकार की ओर से पंडित रविशंकर शुक्ल, मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्रा, डॉक्टर बालिगे, रा कृ पाटिल, रामेश्वर अग्निभोज , देशमुख व मुख्य सचिव बी एस रॉक ने भाग लिया, ऐतिहासिक बैठक में छत्तीसगढ़ के 14 रियासतों में से 12 रियासतों ने भाग लिया तथा दो रियासत के दीवान बैठक में सम्मिलित हुए, सरदार पटेल ने उद्घाटन भाषण में स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो योजना भारत सरकार की ओर से उनके सम्मुख रख रहे हैं उसे स्वीकार करना उनके हित में रहेगा,कोई रियासत यदि सम्मिलित होना नहीं चाहे तो वह अस्वीकार कर सकती है कोरिया, कवर्धा व अन्य नरेशों ने अपनी समस्याएं रखी छत्तीसगढ़ के शासक विलय से पूर्व समय चाहते थे,सचिव बी पी मेमन ने 2 घंटे का समय दिया, रात्रि 10:00 बजे पुनः बैठक शुरू हुई कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह ने कहा कि प्रिवीपर्स हमेशा के लिए निर्धारित कर दिया जाए ताकि शासन में बदलाव आने पर भी कोई बदलाव न आए और संविधान की धारा में सम्मिलित कर लिया जाए, सरदार पटेल ने कहा जिस समझौते पर शासकगण हस्ताक्षर कर रहे हैं वह भारत सरकार को दी हुई गारंटी का ही रूप है इसका उद्देश्य संविधान में स्थान देना है सभी उपस्थित रियासत के शासको ने हस्ताक्षर कर दिए चुकि चांगभखार और जशपुर के शासक बीमार थे, जो बाद में 30 दिसंबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए सभी रियासतों के साथ कोरिया व चांगभखार 1 जनवरी 1948 को भारतीय संघ में सम्मिलित हो गए ।
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